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जियो की 6Hz स्पेक्ट्रम की मांग का क्यों विरोध कर रही हैं मेटा और ऐपल?
इस मांग का कई बड़ी अमेरिकी टेक कंपनियां विरोध कर रही (तस्वीर: पिक्साबे)

जियो की 6Hz स्पेक्ट्रम की मांग का क्यों विरोध कर रही हैं मेटा और ऐपल?

Nov 24, 2025
01:25 pm

क्या है खबर?

टेलीकॉम दिग्गज कंपनी रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया 6GHz बैंड को मोबाइल नेटवर्क के लिए देने की मांग कर रही हैं। इस मांग का कई बड़ी अमेरिकी टेक कंपनियां विरोध कर रही हैं। ऐपल, अमेजन, मेटा, सिस्को, HP और इंटेल चाहती हैं कि यह पूरा बैंड मोबाइल सर्विस के बजाय सिर्फ वाई-फाई इस्तेमाल के लिए रखा जाए। सरकार भी इस बैंड की नीलामी की तैयारी कर रही है, जिससे टेलीकॉम और टेक सेक्टर के बीच बड़ा मतभेद पैदा हो गया है।

वजह

टेक कंपनियां क्यों कर रही हैं विरोध?

इन विदेशी टेक कंपनियों का कहना है कि 6GHz बैंड अभी मोबाइल नेटवर्क के लिए तकनीकी और व्यावसायिक रूप से तैयार नहीं है। उनका तर्क है कि यह बैंड वाई-फाई के लिए ज्यादा फायदेमंद रहेगा और इसे जल्दबाजी में नीलामी के लिए नहीं लाना चाहिए। कंपनियां चाहती हैं कि सरकार WRC-27 की बैठक के बाद ही फैसला ले। कंपनियां यह भी कह रही हैं कि खाली हिस्से को अस्थायी रूप से बिना लाइसेंस के वाई-फाई के लिए खोल देना चाहिए।

सवाल 

जियो की मांग पर उठ रहे सवाल 

जियो सरकार से 6GHz बैंड का पूरा 1200MHz हिस्सा मोबाइल सेवाओं के लिए उपलब्ध कराने की मांग कर रहा है, जबकि इसका कुछ हिस्सा पहले से वाई-फाई के लिए खुला है। विरोध करने वालों का कहना है कि पूरा बैंड मोबाइल को देने से बाजार में असंतुलन हो सकता है। एयरटेल और कुछ अन्य कंपनियां भी नीलामी में देरी का समर्थन कर रही हैं, क्योंकि इस बैंड के लिए मोबाइल डिवाइस, नेटवर्क उपकरण और अंतरराष्ट्रीय मानक अभी तैयार नहीं हैं।

 राय 

दूसरी कंपनियों की राय और आगे की स्थिति

कुछ कंपनियों का मानना है कि 6GHz बैंड भारत के भविष्य के 6G नेटवर्क के लिए बेहद जरूरी होगा, इसलिए जल्दबाजी से बचना चाहिए। दूसरी ओर, COAI का कहना है कि इस बैंड को वाई-फाई के लिए खोलने से भारत के डिजिटल भविष्य को नुकसान हो सकता है, क्योंकि मोबाइल स्पेक्ट्रम लाइसेंस वाली सेवाओं में ज्यादा भरोसेमंद परफॉर्मेंस और बेहतर कवरेज मिलता है। इस मुद्दे पर चर्चाएं फिलहाल जारी हैं और अब सरकार के अंतिम फैसले का इंतजार है।