टिक-टॉक ने अपना अमेरिकी कारोबार बेचा, अगले साल से संयुक्त उद्यम संभालेगा कामकाज
क्या है खबर?
अमेरिका में प्रतिबंध से बचने के लिए टिक-टॉक ने अपना अमेरिकी कारोबार एक संयुक्त उद्यम को बेच दिया है। इस उद्यम में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी ओरेकल, सिल्वर लेक और अबुधाबी स्थित निवेश फर्म MGX की है। 22 जनवरी से ये उद्यम अमेरिका में टिक-टॉक का प्रबंधन संभालेगा। यानी अब अमेरिका में टिक-टॉक एक नई कंपनी के तौर पर काम करेगा, जिसका प्रबंधन भी मोटे तौर पर अमेरिकी हाथों में होगा।
उद्यम
संयुक्त उद्यम में किसकी कितनी हिस्सेदारी?
अमेरिकी पोर्टल एक्सियोस के अनुसार, समझौते के तहत ओरेकल, सिल्वर लेक और MGX के पास संयुक्त रूप से 50 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। बची हुई आधी हिस्सेदारी में से 19.9 प्रतिशत टिक-टॉक की मूल कंपनी बाइटडांस अपने पास रखेगी। वहीं, 30.1 प्रतिशत शेयर बाइटडांस के मौजूदा निवेशकों के पास होंगे। नए उद्यम में ओरेकल एक सुरक्षा साझेदारी की भूमिका निभाएगा। आसान भाषा में कहें तो ओरेकल के पास कंपनी के ऑडिट का काम होगा।
बयान
CEO बोले- 17 करोड़ अमेरिकी बने रहेंगे टिक-टॉक का हिस्सा
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) शाउ जी च्यू ने कर्मचारियों को भेजे एक मेमो में कहा, "हमने एक नए टिक-टॉक अमेरिका संयुक्त उद्यम को लेकर निवेशकों के साथ समझौता किया है। इससे 17 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी नागरिक टिक-टॉक समुदाय का हिस्सा बनें रह सकेंगे। इसका कामकाज 7 सदस्यीय बोर्ड द्वारा किया जाएगा और यह उन शर्तों के अधीन होगा, जो अमेरिकियों के डेटा और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करती हैं।"
कामकाज
अमेरिका में किस तरह होगा टिक-टॉक का प्रबंधन?
अमेरिका में उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा, टिकटॉक के अनुशंसा एल्गोरिदम की सुरक्षा, सामग्री मॉडरेशन और सॉफ्टवेयर आश्वासन की जिम्मेदारी ये संयुक्त उद्यम संभालेगा। वहीं, ओरेकल 'विश्वसनीय सुरक्षा भागीदार' के तौर पर काम करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा शर्तों के अनुपालन का ऑडिट और सत्यापन करने का काम करेगा। डेटा स्टोरेज से जुड़ी चिंताओं को लेकर च्यू ने बताया कि संवेदनशील अमेरिकी डेटा केवल ओरेकल के अमेरिका स्थित क्लाउड कंप्यूटिंग डेटा केंद्रों में ही संग्रहीत किया जाएगा।
वजह
टिक-टॉक ने क्यों उठाया ये कदम?
दरअसल, टिक-टॉक एक चीनी कंपनी द्वारा संचालित किया जाता है। अमेरिका का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और यूजर डेटा से जुड़ी चिंताओं के चलते या तो टिक-टॉक अपना अमेरिकी कारोबार बेचे या प्रतिबंध का सामना करने के लिए तैयार रहे। सबसे पहले 2020 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इससे जुड़े एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद लंबी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के बाद टिक-टॉक ने प्रतिबंध से बचने के लिए ये फैसला किया है।