
कई बैंकों से पर्सनल लोन लेना सही है या गलत? जानिए यहां
क्या है खबर?
कभी-कभी पर्सनल लोन में एक ही बैंक या संस्था उतनी राशि स्वीकृत नहीं कर पाती, जितनी उधारकर्ता को जरूरत होती है। ऐसे में लोग कई बैंकों या NBFC से अलग-अलग ऋण लेने लगते हैं। यह तरीका अप्रत्याशित खर्च, बड़े निवेश या पिछले कर्ज चुकाने में मदद करता है। हालांकि, यह तुरंत धन जुटाने का समाधान लगता है, लेकिन इसके साथ भारी पुनर्भुगतान की जिम्मेदारी भी जुड़ी होती है, जिसे संभालना आसान नहीं होता।
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क्रेडिट हिस्ट्री पर असर
जब कोई व्यक्ति कई ऋण लेता है, तो उसकी मासिक किस्तें भी बढ़ जाती हैं। हर ऋण पर क्रेडिट ब्यूरो नजर रखता है और बहुत सारे सक्रिय अकाउंट होने से उधारकर्ता को जोखिम भरा माना जा सकता है। इससे उसका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है। खासकर अगर समय पर किस्त नहीं चुकाई जाती, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। यानी कई ऋण लेने का असर सीधे आपके वित्तीय रिकॉर्ड और भविष्य की उधारी क्षमता पर पड़ता है।
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आय और पुनर्भुगतान की चुनौती
नया ऋण लेने से पहले बैंक या वित्तीय संस्था आपके ऋण-से-आय अनुपात (DTI) की गणना करती है। अगर आपकी आय का बड़ा हिस्सा पहले से ही EMI में खर्च हो रहा है, तो नए लोन मिलने की संभावना कम हो जाती है। भले ही आप समय पर किस्त चुका रहे हों, उच्च DTI अनुपात आपके लिए दबाव का संकेत देता है। इससे कार या घर जैसे बड़े ऋण प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
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अन्य विकल्प क्या हैं?
कई ऋण लेने से कुल ब्याज का बोझ भी ज्यादा हो जाता है। अलग-अलग बैंकों से उधार लेने की बजाय टॉप-अप लोन, बैलेंस ट्रांसफर या सोने और FD पर सुरक्षित लोन लेना बेहतर विकल्प हो सकता है। ये न सिर्फ सस्ते होते हैं, बल्कि प्रबंधन में भी आसान रहते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि कई पर्सनल लोन लेने की बजाय सुरक्षित और संतुलित विकल्प चुनना ही लंबे समय में समझदारी का कदम होता है।