
ऐसवेक्टर ने SEBI में दाखिल किए IPO के गोपनीय दस्तावेज, जानिए क्यों चुना यह विकल्प
क्या है खबर?
स्नैपडील की मूल कंपनी ऐसवेक्टर ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास गोपनीय रूप से मसौदा पत्र दाखिल कर दिए हैं। कंपनी ने कहा है कि शेयर बाजार के मैन बोर्ड में अपने इक्विटी शेयरों के प्रस्तावित IPO के संबंध में SEBI और शेयर बाजार के पास मसौदा रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) जमा कर दिया है। स्नैपडील के अलावा, ऐसवेक्टर सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (SaaS) प्लेटफॉर्म यूनिकॉमर्स और स्टेलर ब्रांड्स का भी संचालन करती है।
विकल्प
कंपनी ने चुना यह विकल्प
ऐसवेक्टर ने गोपनीय प्री-फाइलिंग मार्ग चुना है, जो उन्हें ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के तहत IPO विवरणों का सार्वजनिक खुलासा के बाद के चरणों तक रोकने की अनुमति देता है। यह मार्ग उन भारतीय कंपनियों के बीच लोकप्रिय हो रहा है, जो अपनी IPO योजनाओं में बदलाव करना चाहती हैं। पिछले महीनों में आईनॉक्स क्लीन एनर्जी, शैडोफैक्स टेक्नोलॉजीज, ग्रो, गजा अल्टरनेटिव एसेट मैनेजमेंट, कॉमर्स इनेबलमेंट प्लेटफॉर्म शिप्रॉकेट, टाटा कैपिटल सहित कई कंपनियों ने गोपनीय फाइलिंग का विकल्प चुना है।
फायदा
गोपनीय प्री-फाइलिंग प्रक्रिया से क्या होगा फायदा?
विशेषज्ञों का कहना है कि गोपनीय प्री-फाइलिंग प्रक्रिया कंपनियों को ज्यादा लचीलापन प्रदान करती है और जल्दी सार्वजनिक होने का दबाव कम करती है। पारंपरिक प्रक्रिया में कंपनियों को SEBI की मंजूरी मिलने के 12 महीनों के भीतर अपना IPO जारी करना होता है। दूसरी तरफ प्री-फाइलिंग प्रक्रिया इस अवधि को 18 महीने तक बढ़ा देती है। इसके अलावा कंपनियां अपडेटेड DRHP चरण तक प्राथमिक निर्गम के आकार को 50 प्रतिशत तक संशोधित कर सकती हैं।