
SEBI ने IPO से जुड़े नियमों में किया बदलाव, विदेशी निवेशकों को मिलेगा बढ़ावा
क्या है खबर?
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) मापदंड़ों में बदलाव को मंजूरी दे दी है। विदेशी निवेशकों के लिए अनुपालन को सरल और भारत को अधिक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने के इरादे से नया एकल खिड़की ढांचा 'स्वागत-FI' पेश करने का निर्णय लिया है। इसके तहत कम जोखिम वाले विदेशी निवेशकों के लिए पंजीकरण और निवेश प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा। इसके साथ ही बार-बार अनुपालन और दस्तावेज पेश करने की जरूरत घटेगी।
फायदा
FPI को मिलेगा यह फायदा
SEBI के अनुसार, नए ढांचे से सरकारी स्वामित्व वाले कोष, केंद्रीय बैंक, सरकारी संपत्ति कोष, बहुपक्षीय संस्थाएं, बीमा कंपनियां और पेंशन फंड जैसे निवेशकों को सुविधा मिलेगी। इसके अलावा पंजीकरण की वैधता अवधि 3-5 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी गई है और निवेशकों को वैकल्पिक रूप से सभी निवेश एक डीमैट खाते में रखने की अनुमति होगी। इससे कम जोखिम वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) और विदेशी उद्यम पूंजी निवेशक (FVCI) दोनों के लिए निवेश के रास्ते खुलेंगे।
MPS
MPS में दी छूट
बाजार नियामक SEBI ने 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक बाजार पूंजीकरण कंपनियों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (MPS) आवश्यकताओं के अनुपालन को बढ़ाने के लिए प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) नियम, 1957 में संशोधन की सिफारिश की है। ऐसी कंपनियां अब कम सार्वजनिक फ्लोट के साथ सूचीबद्ध हो सकती हैं और उन्हें 25 प्रतिशत MPS मानदंड को पूरा करने के लिए 5 साल का समय दिया जाएगा। 5 लाख करोड़ से अधिक के पूंजीकरण वाली कंपनियों पर यही समय-सीमा लागू होगी।
एंकर निवेशक
एंकर निवेशकों का दायरा बढ़ाया
नियामक ने SEBI (पूंजी निर्गम एवं प्रकटीकरण आवश्यकताएं) विनियम, 2018 में बदलावों को भी मंजूरी दे दी है, जिससे एंकर निवेशक मानदंडों में संशोधन किया गया है। जीवन बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों को अब म्यूचुअल फंड्स के साथ-साथ आरक्षित एंकर निवेशक हिस्से में शामिल किया जाएगा। कुल एंकर आरक्षण को एक-तिहाई से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसमें एक-तिहाई म्यूचुअल फंड्स के लिए, शेष बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों के लिए आरक्षित है।