रुपया अमेरिकी डॉलर के मुलाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर, पहली बार 90 डॉलर के पार पहुंचा
क्या है खबर?
भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बीते कुछ दिनों से लगातार लुढ़कता जा रहा है। आज (3 दिसंबर) रुपया पहली बार मनोवैज्ञानिक रूप से अहम 90 के स्तर के ऊपर चला गया और कारोबार के दौरान 90.13 तक गिर गया। यह अब तक का सबसे कमजोर स्तर है। इससे पहले मंगलवार को भी रुपया 89.9475 पर पहुंचा था, जिससे बाजार में करेंसी की स्थिरता को लेकर चिंता और बढ़ गई।
गिरावट
रुपये पर लगातार दबाव क्यों बढ़ा?
भारतीय रुपये में रिकॉर्ड गिरावट इसलिए दिख रही है, क्योंकि डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है और विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से तेजी से पैसा निकाल रहे हैं। दिसंबर की शुरुआत में हुई भारी बिकवाली ने रुपये को और कमजोर कर दिया है। इसके साथ ही, एशियाई मुद्राओं पर भी बाहरी दबाव बढ़ा हुआ है, जिससे रुपये का गिरना और तेज महसूस हो रहा है और स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
असर
व्यापार घाटा और सोने के आयात का असर
भारत का व्यापार घाटा अचानक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ गया है। सोने के आयात में जोरदार उछाल आने से देश का डॉलर खर्च बहुत तेजी से बढ़ा है, जबकि अमेरिका को होने वाला निर्यात काफी कम हो गया है। आयात ज्यादा और निर्यात कम होने से विदेशी मुद्रा की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और यही वजह रुपये की कमजोरी को और गहरा बना रही है।
अन्य
भारत-अमेरिका ट्रेड डील में अनिश्चितता की भूमिका
भारत और अमेरिका के बीच संभावित ट्रेड समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता ने निवेशकों के भरोसे को कमजोर कर दिया है। जब तक इस डील पर पूरी स्पष्टता नहीं मिलती, बाजार को लगता है कि रुपये पर दबाव बना रहेगा। इसके साथ वैश्विक माहौल में बढ़ती सावधानी और जोखिम से बचने की प्रवृत्ति ने भी निवेशकों को सुरक्षित डॉलर की ओर धकेला है, जिससे रुपये की कमजोरी और तेज होती दिख रही है।