निजी क्षेत्र की विकास दर 10 महीनों के निचले स्तर पर पहुंची, जानिए कितनी आई गिरावट
क्या है खबर?
दिसंबर में भारत के निजी क्षेत्र की गतिविधियों में भारी गिरावट देखी गई, जो पिछले 10 महीनों में सबसे कम वृद्धि है। यह गिरावट मुख्य रूप से नए ऑर्डर्स में कमी के कारण हुई, जिससे विनिर्माण और सेर्विस दोनों क्षेत्र प्रभावित हुए। अर्थव्यवस्था अभी भी विस्तार के दौर में है, लेकिन मंदी और लगभग स्थिर रोजगार बाजार से संकेत मिलता है कि घरेलू मांग में कमी आ रही है। इस साल की शुरुआत में इसमें बढ़त देखने को मिली थी।
गिरावट
PMI में कितनी आई गिरावट?
निजी क्षेत्र की गतिविधि का एक प्रमुख सूचक HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) दिसंबर में गिरकर 58.9 हो गया, जबकि नवंबर में यह 59.7 था। नवीनतम आंकड़ा अभी भी 50 के तटस्थ स्तर से काफी ऊपर है, लेकिन फरवरी से गतिविधि में नरमी का संकेत देता है। यह मंदी नए ऑर्डर्स में कमजोर वृद्धि के कारण हुई, हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य-पूर्व से मांग बढ़ने के कारण निर्यात कारोबार ने 3 महीने का उच्चतम स्तर हासिल किया।
रोजगार सृजन
रोजगार में नहीं हुई वृद्धि
सबसे ज्यादा मंदी माल उत्पादन क्षेत्र में देखी गई, जिसकी स्थिति में सुधार पिछले 2 वर्षों में सबसे धीमी गति से हुआ। विनिर्माण PMI नवंबर के 56.6 से गिरकर 55.7 पर आ गया, जबकि सर्विस गतिविधि सूचकांक भी 59.8 से गिरकर 59.1 पर आ गया। रोजगार सृजन 2024 की शुरुआत के बाद से सबसे निचले स्तर पर रुका हुआ है। कंपनियों ने बताया कि मौजूदा कार्यबल पर्याप्त है। इस कारण कर्मचारियों की संख्या में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।