
छुट्टियों के लिए पर्सनल लोन लेना सही है या गलग?
क्या है खबर?
आजकल छुट्टियों को जीवन का जरूरी निवेश मानकर पेश किया जाता है। जिन लोगों के पास बचत नहीं होती, वह पर्सनल लोन लेकर यात्रा करना आसान समझते हैं। बैंक और ऑनलाइन कंपनियां भी ऐसे लोन को तुरंत उपलब्ध बताकर आकर्षित करती हैं। 'अभी बुक करो, बाद में भुगतान करो' जैसे ऑफर लोगों को लुभाते हैं। सवाल यह है कि क्या वाकई सिर्फ मनोरंजन और आराम के लिए कर्ज लेना समझदारी भरा फैसला है?
वजह
क्यों है यह गलत कदम?
भारत में पर्सनल लोन पर सबसे ऊंची ब्याज दरें लगती हैं, जो 12 से 30 प्रतिशत तक हो सकती हैं। अगर कोई 2 लाख रुपये का लोन लेता है, तो उसे चुकाते-चुकाते 2.5-3 लाख रुपये खर्च हो सकते हैं, जिसमें प्रोसेसिंग फीस और टैक्स अलग से जुड़ते हैं। शिक्षा या व्यवसाय जैसे मामलों के उलट, छुट्टियों से लंबी अवधि का कोई लाभ नहीं मिलता। यादें तो रहती हैं, लेकिन महंगा कर्ज बोझ बन जाता है।
खतरा
कर्ज जाल में फंसने का खतरा?
मनोरंजन पर कर्ज लेकर खर्च करना आगे चलकर भारी पड़ सकता है। EMI लंबे समय तक आय का हिस्सा खा जाती है और बचत पर असर डालती है। समय पर EMI न देने से क्रेडिट स्कोर बिगड़ता है और भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो जाता है। अगर बीच में कोई आपात स्थिति आ जाए तो स्थिति और खराब हो सकती है। इस कारण छुट्टियों पर कर्ज लेने का फैसला अधिकतर मामलों में नुकसानदायक साबित होता है।
कब हो सकता है सही?
कब हो सकता है सही?
विशेष परिस्थितियों में ही ट्रैवल लोन पर विचार करना समझदारी है। जैसे किसी बीमार रिश्तेदार से मिलने विदेश जाना, जीवन में एक बार होने वाले खास अवसर में शामिल होना या पारिवारिक जिम्मेदारी निभाना। हालांकि, यह तभी सही है जब EMI चुकाना आसान हो और किराया, शिक्षा या बीमा जैसे जरूरी खर्च प्रभावित न हों। अन्यथा मनमानी छुट्टियों के लिए कर्ज लेना गलत है और इससे पूरी तरह बचना चाहिए।