AI की दुनिया में भारतीय युवाओं का जलवा, फोर्ब्स '30 अंडर 30' में इन्हें मिली जगह
क्या है खबर?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में अब भारत के युवा बढ़-चढ़कर काम कर रहे हैं। फोर्ब्स ने 2026 के लिए अपनी '30 अंडर 30' लिस्ट जारी की है, जिसमें कई भारतीय मूल के युवा शामिल हुए हैं। ये सभी AI के अलग-अलग क्षेत्रों में नया बदलाव ला रहे हैं और अपनी कंपनियों के जरिए टेक दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इस लिस्ट में कई स्टार्टअप भी बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
#1
रिडक्टो के आदित और रौनक ने दुनिया को बदला
रिडक्टो के सह-संस्थापक आदित अब्राहम और रौनक चौधरी MIT ग्रेजुएट हैं और अनस्ट्रक्चर्ड डॉक्यूमेंट्स से डाटा निकालने के लिए AI प्लेटफॉर्म बना रहे हैं। उनकी कंपनी अब तक 25 करोड़ से ज्यादा पेज प्रोसेस कर चुकी है और स्केल AI तथा वैंटा जैसी कंपनियों के साथ काम कर रही है। रिडक्टो ने 10 करोड़ डॉलर (लगभग 900 करोड़ रुपये) से ज्यादा फंडिंग भी जुटाई है और इसका ताजा मूल्यांकन लगभग 5,400 करोड़ रुपये है।
#2
चर्चा में पाइलॉन के अद्वित चेलिकानी का काम
अद्वित चेलिकानी ने पाइलॉन को सह-संस्थापक किया, जो B2B कंपनियों को स्लैक, ईमेल और चैट जैसे प्लेटफॉर्म पर कस्टमर समस्याओं को मैनेज करने में मदद करता है। पाइलॉन के अब 750 से ज्यादा ग्राहक हैं, जिनमें इलेवनलैब्स और टूगेदर AI जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। यह प्लेटफॉर्म कंपनियों को कस्टमर सपोर्ट और कम्युनिकेशन को तेज और आसान तरीके से हैंडल करने में मदद करता है, जिससे उनका काम और भी सुचारू बन जाता है।
#3
डेल्व और फारसाइट के युवा भी शामिल
MIT के करुण कौशिक ने डेल्व को शुरू किया, जो SOC 2 और HIPAA जैसी सिक्योरिटी प्रोसेस को ऑटोमेट करने के लिए AI का उपयोग करता है। कंपनी के 500 से ज्यादा कस्टमर हैं। वहीं, समीर दत्ता और कुणाल टैंगरी फारसाइट के सह-संस्थापक हैं, जो AI से कुछ सेकंड में पावर एक्सेल मॉडल, रिसर्च मेमो और पिच डेक बनाते हैं। फारसाइट लगभग 30 फाइनेंशियल फर्मों के साथ काम कर रही है।
#4
वापी और अकॉर्डेंस के संस्थापक भी छाए
निखिल गुप्ता ने वापी की शुरुआत की, जो डेवलपर्स को ऐसे वॉइस-इनेबल्ड AI एजेंट बनाने में मदद करता है जो इंसानों जैसी नैचुरल बातचीत कर सकें। वहीं, फिनसम सैमसन ने अकॉर्डेंस शुरू किया, जो कठिन टैक्स और अकाउंटिंग समस्याओं को AI से हल करता है। इस स्टार्टअप को खोसला वेंचर्स, सिकोइया और एंथ्रोपिक जैसी बड़ी कंपनियों से 1.3 करोड़ डॉलर (लगभग 120 करोड़ रुपये) से ज्यादा की फंडिंग मिली है।