
अमेरिकी टैरिफ से भारत के हीरा उद्योग पर पर संकट, श्रमिकों की जा रही नौकरी
क्या है खबर?
अमेरिका की ओर से भारतीय रत्नों और आभूषणों पर आयात शुल्क में की गई भारी वृद्धि के बाद गुजरात का हीरा उद्योग में रोजगार संकट गहरा गया है। अप्रैल में 10 प्रतिशत आधारभूत शुल्क लगाने के बाद से सौराष्ट्र में हीरे की कटाई और पॉलिशिंग में लगे लगभग 1 लाख मजदूरों को नौकरी खोनी पड़ी है। पिछले 10 दिनों में स्थिति और खराब हो गई, क्योंकि टैरिफ पहले 25 प्रतिशत और फिर दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया गया।
असर
कहां-कहां पड़ा असर?
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, छंटनी का असर मुख्य रूप से भावनगर, अमरेली और जूनागढ़ की छोटी यूनिट्स पर पड़ा है, जो कच्चे हीरों की कटाई और पॉलिशिंग के लिए बड़ी कंपनियों के जॉब वर्क पर निर्भर हैं। इन यूनिट्स में आमतौर पर 15,000-20,000 रुपये प्रति माह कमाने वाले कर्मचारी काम करते हैं। उद्योग प्रतिनिधियों का कहना है कि अमेरिकी खरीदारों के कई निर्यात ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं या रोक दिए गए हैं, जिससे उत्पादन लाइनें बेकार पड़ी हैं।
LGD
LGD व्यापार पर भी खतरा
कुछ विस्थापित मजदूरों को प्रयोगशाला में बनाए गए हीरे (LGD) क्षेत्र में रोजगार मिल रहा है, लेकिन उद्योग जगत के दिग्गज आगाह कर रहे हैं कि यह क्षेत्र भी खतरे में है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका LGD का सबसे बड़ा बाजार है और 50 प्रतिशत टैरिफ इस कारोबार को भी प्रभावित कर सकता है। बता दें भारत दुनिया का सबसे बड़ा हीरा तराशने और पॉलिश करने का केंद्र है, जहां दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत हीरे संसाधित होते हैं।
राजस्थान
राजस्थान पर भी पड़ने लगा असर
टैरिफ से राजस्थान के जयपुर का रत्न और आभूषण व्यापार भी घाटे की ओर बढ़ रहा है। राज्य ने वित्त वर्ष 2025 में 17,675 करोड़ रुपये मूल्य के रत्न-आभूषण निर्यात किए, जिनमें से लगभग 3,154 करोड़ के अमेरिका को निर्यात किए गए। जयपुर रंगीन रत्नों और हीरे जड़ित आभूषणों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। बता दें, वित्त वर्ष 2025 तक भारत ने अमेरिका को 10 अरब डॉलर (करीब 875 अरब रुपये) मूल्य के रत्न और आभूषण निर्यात किए।