बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से वृद्धि करता रहेगा भारत, 6.2 प्रतिशत रहेगी विकास दर- UN
क्या है खबर?
नए साल पर संयुक्त राष्ट्र (UN) की ओर से भारत के लिए खुशखबरी है। UN ने कहा है कि 2024 में भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ेगा। इस दौरान भारत की अर्थव्यवस्था 6.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर सकती है।
इसके पीछे UN ने घरेलू मांग और विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में वृद्धि को वजह बताया है। UN ने विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावनाएं (WESP) रिपोर्ट 2024 में ये बात कही है।
रिपोर्ट
UN ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?
रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत घरेलू मांग और विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में वृद्धि से भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2024 में 6.2 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है, जो 2023 के लिए 6.3 प्रतिशत के अनुमान से थोड़ा कम है।
हालांकि, इस रिपोर्ट में 2024 में वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 2.4 रहने की संभावना जताई गई है। ये 2023 की 2.7 प्रतिशत वृद्धि से कम है।
सुधार
2025 में GDP की विकास दर में मामूली सुधार की उम्मीद
रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व अर्थव्यवस्था 2023 में मंदी की सबसे खराब स्थिति से बच गई, लेकिन अभी भी वृद्धि की रफ्तार बेहद धीमी है।
2025 में विकास दर मामूली सुधार के साथ 2.7 प्रतिशत पर रहने के आसार हैं। हालांकि, ये कोरोना वायरस महामारी से पहले ही वृद्धि दर से कम ही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और बहुराष्ट्रीय निवेशों के दम पर भारत में निवेश मजबूत रहा है।
बयान
UN बोला- भारत की वृद्धि को लेकर आशांवित
आर्थिक विश्लेषण और नीति प्रभाग (UNDESA) के प्रमुख हामिद राशिद ने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था ने न केवल इस साल बल्कि पिछले कुछ वर्षों में अपने प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन किया है। आर्थिक वृद्धि दर लगातार 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। हमारा मानना है कि यह 2024-2025 में भी जारी रहेगी। कुल मिलाकर घरेलू खपत और खर्च बढ़ा है, रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है। हम निकट भविष्य में भारत की वृद्धि परिदृश्य को लेकर काफी आशांवित हैं।"
कृषि
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी घटनाएं अर्थव्यवस्था पर डाल सकती है असर
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अभी भी काफी हद तक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था बना हुआ है और वह जलवायु परिवर्तन के लिहाज से बहुत संवेदनशील है।
अगर कृषि उत्पादन को झटका लगता है तो इससे अर्थव्यवस्था में एक बड़ा व्यवधान पैदा हो सकता है। हालांकि, ऐसा होने की आशंकाएं कम हैं।
बता दें कि पिछला अगस्त महीना बीते 122 सालों में सबसे सूखा रहा था, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में फसलों के उत्पादन पर असर पड़ा है।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
GDP किसी भी देश में एक निश्चित समयसीमा के भीतर उत्पादित की गई वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य है।
आसान भाषा में समझें तो सुई से लेकर हवाई जहाज तक, देश में बनने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कीमत को जोड़ दिया जाए तो GDP का आंकड़ा मिलेगा।
इससे देश की आर्थिक सेहत का पता चलता है। आमतौर पर GDP की गणना वार्षिक आधार पर की जाती है।