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एक्स करेगा कर्नाटक हाई कोर्ट आदेश का विरोध, कही ये बात
एक्स ने कोर्ट के कंटेंट टेकडाउन आदेश का किया विरोध

एक्स करेगा कर्नाटक हाई कोर्ट आदेश का विरोध, कही ये बात

संपादन Manoj Panchal
Sep 29, 2025
11:43 am

क्या है खबर?

एलन मस्क के स्वामित्व वाली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ने कर्नाटक की अदालत के नए कंटेंट टेकडाउन सिस्टम के आदेश का विरोध करेगा। कंपनी का कहना है कि यह आदेश भारतीय कानून और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। नए नियम के तहत पुलिस अधिकारियों को सहयोग पोर्टल के माध्यम से बिना किसी न्यायिक समीक्षा या पारदर्शिता के ऑनलाइन पोस्ट हटाने का अधिकार मिलेगा। एक्स ने इसे अवैध और असंवैधानिक कहा है।

 दृष्टिकोण 

कंपनी ने कानूनी दृष्टिकोण साझा किया  

एक्स ने कहा कि यह प्रणाली IT अधिनियम की धारा 69A को दरकिनार करती है। धारा 69A के तहत कंटेंट प्रतिबंध लगाने के लिए निगरानी और उचित प्रक्रिया जरूरी होती है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले से ही बरकरार रखा है। सहयोग पोर्टल अधिकारियों को कंटेंट को 'अवैध' बताकर हटाने का अधिकार देता है। प्लेटफॉर्म के अनुसार, नियम का पालन न करने पर उन्हें आपराधिक दायित्व झेलना पड़ सकता है।

असर

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असर

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने कहा कि यह टेकडाउन सिस्टम यूजर्स के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। टेकडाउन मनमाने ढंग से और बिना किसी आधार के लागू हो सकता है। एक्स ने यह भी याद दिलाया कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में इसी तरह के ढांचे को असंवैधानिक घोषित किया था। कंपनी का तर्क है कि यह नियम भारत में उनके विदेशी निगमन के कारण संवैधानिक चिंताओं को नजरअंदाज करता है।

भूमिका 

अपील की तैयारी और भारत में भूमिका 

एक्स ने पुष्टि की कि वह इस आदेश के खिलाफ अपील करेगा। कंपनी ने कहा कि वह भारत में सार्वजनिक विमर्श में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और लाखों भारतीय यूजर्स की आवाज को संरक्षित करना चाहता है। प्लेटफॉर्म ने जोर देकर कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उनके लिए प्राथमिक है। एक्स का कहना है कि आदेश के खिलाफ अपील करना उनकी जिम्मेदारी है, ताकि यूजर्स के अधिकार और भारत में सार्वजनिक संवाद सुरक्षित रह सके।

मामला 

हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका

कर्नाटक हाई कोर्ट ने इससे पहले एक्स द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ अकाउंट और पोस्ट ब्लॉक करने के निर्देशों को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा था कि एक्स को भारत में बिना निगरानी के काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद-19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक संरक्षण केवल भारतीय नागरिकों को उपलब्ध है, विदेशी संस्थाओं को नहीं।