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क्या नो-कॉस्ट EMI भी पड़ती है मंहगी? जानिए क्या है सच्चाई 
नो-कॉस्ट EMI में कई छिपे हुए शुल्क वसूले जाते हैं (तस्वीर: अनस्प्लैश)

क्या नो-कॉस्ट EMI भी पड़ती है मंहगी? जानिए क्या है सच्चाई 

Oct 30, 2025
08:27 am

क्या है खबर?

कई बैंक, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए 'नो-कॉस्ट EMI' जैसी लोकप्रिय स्कीम देती है। इससे लोगों को बिना ब्याज दिए महंगे उत्पाद किस्तों पर खरीदने की सुविधा मिलती है, जो कंपनियों की बिक्री में तेजी से वृद्धि करती हैं। कुछ लोगों के मन में यह सवाल पैदा हो सकता है कि क्या यह सच में फायदेमंद है? आइये जानते हैं नो-कॉस्ट EMI विकल्प के पीछे की सच्चाई क्या है।

नो-कॉस्ट EMI

क्या होती है नो-कॉस्ट EMI?

बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मिलकर यह सुविधा देते हैं। प्रोडक्ट की कीमत को किस्तों में बांट दिया जाता है और कोई अलग से ब्याज नहीं देना पड़ता है। EMI की अवधि 3 से 24 महीने तक हो सकती है। मान लीजिए कि आपने 50,000 रुपये का कोई उत्पाद खरीदा हैं और 6 महीने की नो-कॉस्ट EMI चुनते हैं तो हर महीने आपको 8,333 रुपये EMI देनी होगी। कुल मिलाकर आपको 50,000 रुपये ही चुकाने होंगे।

नुकसान 

देने पड़ते हैं ये अतिरिक्त शुल्क

नो-कॉस्ट EMI दिखने में तो फायदेमंद लगता है, लेकिन इस पर उत्पाद खरीद के लिए नकद भुगतान पर मिलने वाली छूट नहीं मिलती है। इसमें प्रोसेसिंग फीस और GST भी जुड़ी होती है। कुछ कार्ड चुपचाप से उत्पाद की MRP बढ़ा देते हैं, जबकि कुछ कार्ड ब्रांड आधारित प्लेटफॉर्म पर यह ऑफर देते हैं, जहां कीमतें बाजार से अधिक होती हैं। इसके अलावा EMI चूकने पर पेनल्टी लगने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है।