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राज्यों पर कर्ज 10 साल में 3 गुना बढ़ा, 59.6 लाख करोड़ पर पहुंचा- CAG
बीते 10 सालों में राज्यों पर कर्ज 3 गुना बढ़ गया है

राज्यों पर कर्ज 10 साल में 3 गुना बढ़ा, 59.6 लाख करोड़ पर पहुंचा- CAG

लेखन आबिद खान
Sep 20, 2025
02:09 pm

क्या है खबर?

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में राज्यों पर कर्ज को लेकर चौंकाने वाली जानकारी दी है। CAG ने बताया कि देश के सभी 28 राज्यों पर कर्ज बीते 10 सालों में 3 गुना बढ़ गया है। 2013-14 में सभी राज्यों पर 17.57 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जो 2022-23 में बढ़कर 59.60 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह रिपोर्ट CAG ने राज्य वित्त सचिवों के सम्मेलन के दौरान जारी की है।

GDP

राज्यों पर GDP का करीब 23 प्रतिशत कर्ज

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में राज्यों पर कुल 59.60 लाख करोड़ रुपये कर्ज था। ये सभी राज्यों के संयुक्त सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 22.96 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013-14 में राज्यों का कुल सार्वजनिक ऋण 17.57 लाख करोड़ रुपये था, जो GSDP का 16.66 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2022-23 में ये कर्ज 3.39 गुना बढ़कर GSDP का 22.96 प्रतिशत हो गया है।

राज्य

किस राज्य पर है सबसे ज्यादा कर्ज?

पंजाब ने सबसे ज्यादा कर्ज ले रखा है। पंजाब पर GSDP का 40.35 प्रतिशत कर्ज है। इसके बाद नागालैंड (37.15 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (33.70 प्रतिशत) है। GSDP के मुकाबले कर्ज का सबसे कम अनुपात ओडिशा (8.45 प्रतिशत), महाराष्ट्र (14.64 प्रतिशत) और गुजरात (16.37 प्रतिशत) में दर्ज किया गया। वहीं, 8 राज्य ऐसे हैं, जिन पर कर्ज उनकी GSDP के मुकाबले 30 प्रतिशत से ज्यादा, 6 पर 20 प्रतिशत से कम और 14 पर 20-30 प्रतिशत के बीच है।

देश

राज्यों पर देश की GDP का 22 प्रतिशत कर्ज

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में राज्यों का कुल कर्ज देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 22.17 प्रतिशत था। राज्यों ने ज्यादातर कर्ज सार्वजनिक ऋण में प्रतिभूतियों, ट्रेजरी बिलों, बॉन्ड आदि के जरिए ले रखा है। इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और अन्य बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक से मिले वेज एंड मींस एडवांसेस (WMA), भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) जैसे वित्तीय संस्थानों से भी कर्ज लिया है।

स्थिति

11 राज्यों ने खर्चा निकालने के लिए लिया कर्ज

रिपोर्ट के मुताबिक, कर्ज लेने का अनाधिकारिक नियम कहता है कि सरकार को केवल निवेश या पूंजीकरण के लिए ही उधार लेना चाहिए, न कि अपनी परिचालन लागत या वर्तमान खर्चों को पूरा करने के लिए। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 राज्यों ने अपने वर्तमान खर्चों को पूरा करने के लिए भी कर्ज की राशि का इस्तेमाल किया है। इनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।