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    नोटबंदी से पहले की तुलना में बाजार में बढ़ा 19 प्रतिशत कैश

    नोटबंदी से पहले की तुलना में बाजार में बढ़ा 19 प्रतिशत कैश
    लेखन प्रमोद कुमार
    Mar 22, 2019, 09:28 am 1 मिनट में पढ़ें
    नोटबंदी से पहले की तुलना में बाजार में बढ़ा 19 प्रतिशत कैश

    सरकार के डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने के तमाम दावों के बीच देश में करंसी इन सर्कुलेशन (CIC) में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नोटबंदी से पहले की तुलना में बाजार में फिलहाल 19.14 प्रतिशत ज्यादा कैश है। मार्च, 2018 में बाजार में 18.29 लाख करोड़ रुपये कीमत की करंसी चलन में थी। एक साल में इसमें तीन लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। अब 21.41 लाख करोड़ रुपये की करंसी चलन में है।

    नोटबंदी के बाद हुआ यह असर

    नोटबंदी के बाद नंवबर, 2016 में बाजार में उपलब्ध करंसी की कीमत घटकर 9 लाख करोड़ रुपये रह गई थी। सरकार ने काले धन पर रोक लगाने और नकली करंसी को बाजार से हटाने के लिए नोटबंदी की थी। इसके बाद सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए गए थे। साथ ही कई प्रकार के लेनदेन में कैश के भुगतान पर रोक लगाई थी।

    इस वजह से बढ़ा करंसी सर्कुलेशन

    चुनावों से पहले आमतौर पर करंसी सर्कुलेशन में बढ़ोतरी होती है। साथ ही मानसून के बाद भी करंसी की मांग में बढ़ोतरी होती है। विशेषज्ञ इसके पीछे त्यौहारी सीजन को भी एक वजह मानते हैं। इस सीजन में सोने और ऑटोमोबाइल्स की खरीद होती है।

    बढ़ा है ATM ट्रांजेक्शन

    पिछले तीन सालों में ATM के जरिए होने वाली ट्रांजेक्शन में भी बढ़ोतरी देखी गई है। प्वाइंट ऑफ सेल (PoS) और ATM से जनवरी, 2017 में ATM से 2.01 लाख करोड़ रुपये की ट्रांजेक्शन हुई। एक साल जनवरी 2018 में यह बढ़कर 2.95 लाख करोड़ रुपये और जनवरी, 2019 में 3.16 लाख करोड़ रुपये हो गई। 3.16 लाख करोड़ रुपये में से 2.66 लाख करोड़ रुपये ATM मशीनों से निकाले गए। RBI की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।

    नोटबंदी के बाद वापस आई सारी करंसी

    नवंबर, 2016 में सरकार ने नोटबंदी करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद कर दिए थे। इन्हें जमा कराने के लिए लोगों को कुछ समय दिया गया था। नोटबंदी के बाद भारतीय रिजर्व बैंक को लगभग पूरा पैसा वापस मिल गया था। रिजर्व बैंक को उस वक्त चलन में रही मुद्रा का 99.3 प्रतिशत हिस्सा (लगभग 15.310 लाख करोड़) वापस मिला था। आर्थिक मामलों के जानकारों ने नोटबंदी को एक गलत कदम बताया था।

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