स्क्रैपेज सेंटर डिजिटल रूप से सत्यापित करेंगे वाहनों के रिकॉर्ड, ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी
क्या है खबर?
व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी को लेकर जल्द ही नया नियम आने वाला है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने इस पॉलिसी से जुड़े एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को जारी किया है।
इसके तहत रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र (RVSF) वाहन मालिक द्वारा स्क्रैपेज आवेदन जमा करने से पहले परिवहन मंत्रालय के वाहन डेटाबेस से इन वाहनों के रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से सत्यापित करेंगे।
इसमें गाड़ियों का बकाया और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों द्वारा ब्लैकलिस्ट किये जाने जैसे रिकार्ड की जांच होगी।
जानकारी
किन-किन रिकॉर्ड की होगी जांच?
ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में कहा गया कि वाहन मालिक द्वारा आवेदन जमा करने से पहले मंत्रालय के 'वाहन' डेटाबेस से सभी आवश्यक जांच की जानी चाहिए।
इन जांच में वाहन का किराया या खरीद, लीज या समझौते के तहत खरीद, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के रिकॉर्ड में वाहन के खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, वाहन पर कोई बकाया नहीं है और क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण द्वारा वाहन को ब्लैकलिस्ट करने का कोई रिकॉर्ड नहीं है, जैसी चीजों की जांच की जाएगी।
जानकारी
सुविधा केंद्र की तरह काम करेंगे RVSF
प्रस्तावित नियमों के तहत वाहन स्क्रैपिंग के लिए सभी आवेदन डिजिटल रूप से जमा किए जाएंगे और सरकार से मान्यता प्राप्त RVSF सुविधा केंद्र के रूप में कार्य करेंगे।
वाहन जमा करने के समय वाहन मालिक और RVSF ऑपरेटरों द्वारा स्क्रैपिंग करने से पहले और बाद में इन नियमों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।
साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि इनमें से किसी भी जांच में विफल होने वाले वाहनों के लिए आवेदन जमा नहीं किया जाएगा।
सर्टिफिकेट
डिजिटल डिपॉजिट सर्टिफिकेट के लिए भी है प्रस्ताव
इन सबके अलावा यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि वाहनों को जमा करने के बाद हुए लेनदेन का प्रमाण रखने के लिए वाहन मालिकों को इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के माध्यम से जमा करने का डिजिटल ट्रांसफर सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
इस सर्टिफिकेट की वैधता जारी होने की तिथि से दो साल तक होगी।
गौरतलब है कि नए वाहन की खरीद और लाभ प्राप्त करने के लिए वाहन मालिकों के लिए डिपॉजिट सर्टिफिकेट एक आवश्यक दस्तावेज होगा।
जानकारी
क्या है स्क्रैपेज पॉलिसी?
वाहन के पंजीकरण का समय पूरा होने पर स्क्रैपेज पॉलिसी लागू होती है। सामान्य तौर पर एक वाहन का जीवन 15 वर्ष होता है, जिसके बाद यह वाहन पर्यावरण को अधिक प्रदूषित करना शुरू कर देते हैं।
अन्य देशों में उन्हें नष्ट कर दिया जाता है।हालांकि भारत में ऐसी कोई पॉलिसी नहीं थी।
नई पॉलिसी के अनुसार वाहनों का पंजीकरण समाप्त होने के बाद उन्हें फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा। टेस्ट पास न करने पर उन्हें स्क्रैप किया जाएगा।