पहले से लगी बैटरी के बिना भी होगी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री, ग्राहकों को होगा फायदा
सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए लगातार कई प्रयास कर रही है। इसी बीच अब सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने कंपनियों को बिना पहले से लगीं हुईं बैटरी के बिना भी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री करने की अनुमति दे दी है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत कम हो जाएगी, क्योंकि बिना बैटरी के ही उन्हें बेचा जाएगा। इस फैसले से ग्राहकों और कंपनियों दोनों को ही काफी लाभ होगा।
मंत्रालय ने सभी राज्यों को लिखा पत्र
मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस संबंध में एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बिना बैटरी के बेचा और उनका रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन के लिए बैटरी के प्रकार आदि के बारे में बताने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इलेक्ट्रिकल वाहन और बैटरी के प्रोटोटाइप को केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 126 के तहत परीक्षण एजेंसियों द्वारा स्वीकृति मिलना आवश्यक है।
क्या है इसका उद्देश्य?
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऐसा किया है। इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत में 30 से 40 प्रतिशत लागत बैटरी की होती है। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए यह सही फैसला है। बता दें कि पिछले साल केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए GST दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया था।
कीमत में आएगी कमी
इस फैसले से दो और तीन पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत ईंधन से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम होगी। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजी गई एडवायजरी में कहा गया है कि सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए इकोसिस्टम तैयार करने पर काम कर रही है। बता दें कि वाहनों में बैटरी या तो ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEM) द्वारा या अन्य एनर्जी सर्विस प्रोवाइर्ड द्वारा लगवाई जा सकती है।
कंपनियों का क्या है कहना?
सरकार के इस फैसले को जहां कुछ कपंनियों ने बहुत खुशी से स्वीकार किया है। वहीं कुछ का कहना है कि इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि ग्राहकों को अलग से बैटरी को खरीदना ही पड़ेगा। इसलिए उनके अधिक पैसे नहीं बचेंगे और वहनों की कीमत लगभग पहले के बराबर ही पड़ेगी। हालांकि, अगर कंपनियां कम कीमत में ग्राहकों के लिए बैटरियां उपलब्ध कराती हैं तो इससे उन्हें लाभ होगा।
दिल्ली सरकार ने भी लागू की नई नीति
दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की नीति में कई बदलाव किये हैं। इसके जरिये 2024 तक 25 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन रजिस्टर कराने का और एक साल में 200 चार्जिंग स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही नए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों को सरकार 1.5 लाख रुपये तक की सब्सिडी भी देगी। सरकार ने तीन साल के लिए इस नीति को लागू किया है। इसके बाद इसकी समीक्षा की जाएगी।