मर्सिडीज-बेंज 300 SLR बनी दुनिया की सबसे महंगी कार, जानिये इसका इतिहास
क्या है खबर?
अब तक बेची गई दुनिया की सबसे महंगी कार का रिकॉर्ड एक बेहद दुर्लभ 1955 मर्सिडीज-बेंज 300 SLR ने तोड़ दिया है।
अभी तक यह खिताब फेरारी 250 GTO (Ferrari 250 GTO) के नाम था, जिसे 2018 में 70 मिलियन डॉलर (लगभग 543 करोड़ रुपये) की कीमत में बेचा गया था।
अब यह रिकॉर्ड मर्सिडीज-बेंज 300 SLR उहलेनहॉट कूपे (Mercedes-Benz 300 SLR Uhlenhaut Coupe) के नाम हो गया है, जिसे 142 मिलियन डॉलर (1,100 करोड़ रुपये) में बेचा गया है।
नीलामी
10 से भी कम बोलीदाताओं को किया गया था आमंत्रित
मर्सिडीज-बेंज ने अपने स्टटगार्ट संग्रहालय में मर्सिडीज-बेंज 300 SLR उहलेनहॉट कूपे कारों में से एक के लिए गुप्त नीलामी की थी।
इसी निजी नीलामी कार्यक्रम में यह रिकॉर्ड बना। इस नीलामी कार्यक्रम में केवल 10 या उससे कम चयनित कार लोगों को ही आमंत्रित किया गया था।
मर्सिडीज ने यह भी सुनिश्चित किया कि कार खरीदने के साधन होने के अलावा खरीदार के मन में कार के लिए अच्छा लगाव हो और वह इसे लाभ पाने के लिए नहीं बेचे।
जानकारी
इसलिए है बेहद दुर्लभ
यह मर्सिडीज-बेंज 300 SLR उहलेनहॉट कूपे बेहद दुर्लभ इसलिए है क्योंकि कंपनी ने इसकी केवल दो ही यूनिट बनाई थीं, जिसमें से एक को अब किसी बेहद अमीर व्यक्ति को बेचा गया है।
कंपनी ने कार के इन दो हार्डटॉप वेरिएंट का उत्पादन 1955 में रेस छोड़ने के बाद किया था। इसमें 3.0-लीटर के 8 इंजन हैं, जिनकी क्षमता 302 PS की है।
इस बिक्री की सभी सूचनाएं मीडिया से दूर रखी गईं हैं।
कार का इतिहास
रेस में कार से चालक समेत 83 दर्शकों की हुई थी मौत
मर्सिडीज-बेंज ने 1950 में पहली SLR 300 रेस कार बनाई थी। 1955 तक यह 12 रेसों में से 9 जीत कर रेसिंग कारों पर हावी रही थी।
इसे चलाने वाले नामों में जुआन मैनुअल फैंगियो और स्टर्लिंग मॉस जैसे दिग्गज ड्राइवरों के नाम शामिल हैं।
हालांकि, 1955 ले मैन्स (Le Mans) रेस की दुर्घटना में कार से चालक पियरे लेवेघ और 83 दर्शकों की मौत हो गई थी, जिससे कंपनी रेस से बाहर निकल गई थी।
जानकारी
कैसे पड़ा 'उहलेनहॉट कूपे' नाम ?
1956 में बने मर्सिडीज-बेंज 300 SLR के दोनों हार्डटॉप वेरिएंट कभी रेसिंग ट्रैक पर नहीं उतरे।
दोनों में से एक का उपयोग ऑटोमेकर के परीक्षण विभाग के प्रमुख रुडोल्फ उहलेनहॉट करते थे, जिससे इस कार को 300 SLR उहलेनहॉट कूप नाम दिया गया।
यह कारें तब से मर्सिडीज की देखभाल में ही रही हैं और सबसे मूल्यवान कारों के रूप में मानी जाती हैं।
इस नीलामी ने फेरारी 250 GTO के रिकॉर्ड को तोड़ कर दोगुना कर दिया है।