
कारों में कितना कारगर है ड्राइवर ड्राउजीनेस अलर्ट फीचर और यह कैसे करता है काम?
क्या है खबर?
सुरक्षित ड्राइविंग के लिए वाहन चालक को काफी सतर्क रहने की जरूरत होती है। खासतौर पर लंबी दूरी की यात्रा और रात के समय गाड़ी चलाते समय तो यह बेहद जरूरी हो जाता है। थकान की वजह से कई बार कार चालक को झपकी आ जाती है और यह स्थिति कई बार जानलेवा हादसों को दावत देती है। इससे निपटने के लिए आधुनिक कारों में ड्राइवर ड्राउजीनेस अलर्ट फीचर दिया जाता है। आइये जानते हैं यह कैसे काम करता है।
उपयोग
क्या है ड्राइवर ड्राउजीनेस अलर्ट?
इस फीचर को ड्राइवरों में थकान के लक्षणों की पहचान करने और उन्हें ब्रेक लेने के लिए सचेत करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह थकान के लक्षणों की पहचान करने के लिए सेंसर और एल्गोरिदम का उपयोग करता है। इसमें कैमरे, स्टीयरिंग व्हील सेंसर और आई-ट्रैकिंग तकनीक मिलकर काम करती है। ड्राइवर की नींद आने का संकेत मिलते ही सिस्टम इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर में कॉफी का प्रतीक प्रदर्शित कर कार रोककर ब्रेक लेने के लिए अलर्ट देता है।
तरीका
कैसे काम करता है यह फीचर?
सिस्टम कैमरे की मदद से जम्हाई लेने, बार-बार पलकें झपकाने या सिर हिलाने जैसे थकान के संकेत पहचाने के लिए चालक के चेहरे पर नजर रखते हैं। सेंसर स्टीयरिंग व्हील की गति में होने वाले बदलावों से उनींदापन का पता लगाते हैं। कैमरे या इन्फ्रारेड सेंसर यह पता लगाते हैं कि उसकी आंखें बंद हो रही हैं या कहीं और जा रही हैं। लक्षणों के विश्लेषण के आधार पर सिस्टम तय करता है कि अलर्ट जारी करना है या नहीं।
फायदा-नुकसान
ये हैं इस फीचर के फायदे-नुकसान
फीचर बढ़ते ट्रैफिक जाम और लंबी ड्राइविंग के कारण चालक की थकान से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सिस्टम चालकों को सड़क पर ज्यादा सतर्क रहने में मदद करने के साथ आत्मविश्वास पैदा करता है। नुकसान देखें तो इससे लैस कारों की कीमत अधिक होती है। कुछ सिस्टम गलत अलर्ट भी जारी कर सकती हैं, जिससे चालक का ध्यान भंग हो सकता है। यह नींद आने के सभी कारणों का पता नहीं लगा सकता।