
विदेशी कार निर्माता केंद्र की बजाय राज्य की योजनाओं को दे रहे प्राथमिकता, जानिए कारण
क्या है खबर?
विदेशी वाहन निर्माता केन्द्रीय योजना के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के लिए निर्माण प्लांट स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ साझेदारी करना पसंद कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें अधिक लचीले प्रोत्साहन और तीव्र मंजूरी की पेशकश की जा रही है। यही कारण है कि भारत में इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की शुरू की गई योजना (SPMEPCI) के पोर्टल पर एक महीने बाद भी किसी कंपनी ने आवेदन नहीं किया।
प्रोत्साहन
राज्य सरकारें दे रहीं ज्यादा प्रोत्साहन
वैश्विक ऑटोमोबाइल कंपनियों के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने मनीकंट्रोल को बताया कि केंद्रीय योजना का स्वरूप उन कंपनियों के पक्ष में है, जो नया EV निर्माण प्लांट स्थापित करने की इच्छुक हैं। इसके विपरीत कई भारतीय राज्य- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना केंद्रीय नीति की शर्तों के बिना निर्माण, सोर्सिंग और पारिस्थितिकी तंत्र विकास के लिए मजबूत नीतिगत समर्थन प्रदान कर रहे हैं। इसका उद्देश्य इन कंपनियों को अपने राज्य की तरफ आकर्षित करना है।
मापदंड़
मौजूदा कंपनियों के लिए उपयोग नहीं है केंद्र की योजना
एक जर्मन कार निर्माता कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "SPMEPCI के मानदंड भारी पूंजी लगाने वाली नई कंपनियों को फायदा पहुंचाते हैं।" उन्होंने बताया कि भारत में पहले से काम कर रही मौजूदा कंपनियां इस योजना को कम प्रासंगिक मानती हैं। अधिकारी के अनुसार, राज्य हमें तेजी से मंजूरी दे रहे हैं, कम दरों पर जमीन उपलब्ध करा रहे हैं और स्थानीय पुर्जे बनाने वाली कंपनियों से जुड़ने में भी मदद कर रहे हैं।