यूक्रेन-रूस युद्ध से प्रभावित होगा ऑटो-सेक्टर, बढ़ सकते हैं तेल और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के दाम
क्या है खबर?
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा तनाव गुरुवार सुबह युद्ध में तब्दील हो गया। रूस की सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव सहित कई प्रमुख शहरों में उसके सैन्य ठिकानों पर हमला बोला है।
जानकारों की मानें तो अगर रूस-यूक्रेन के युद्ध से पैदा हुआ संकट अगर अधिक दिनों तक चला तो इसका असर भारत के ऑटो सेक्टर पर भी पड़ेगा और इस वजह से ऑटो कंपनियां अपने वाहनों के दाम भी बढ़ा सकती हैं।
कमोडिटी
बढ़ सकती हैं कमोडिटी की कीमतें
रूस पैलेडियम के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है जिसका उपयोग ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम में किया जाता है। युद्ध का असर कॉपर, पैलेडियम और अन्य जैसे धातुओं में कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि कर सकता है।
बिजनेस टुडे के अनुसार, डेलॉयट इंडिया के पार्टनर रजत महाजन ने कहा, "ऑटो उद्योग महामारी के कारण मांग में कमी के साथ-साथ सेमीकंडक्टर्स की कमी से उबरने की उम्मीद कर रहा था, इस मौजूदा स्थिति से इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं।"
तेल
बढ़ सकती हैं तेल की कीमतें
एक दिसंबर, 2021 को क्रूड ऑयल की कीमत 68.87 डॉलर प्रति बैरल थी, जो अब बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जा चुका है।
देश में 4 नवंबर, 2021 के बाद से पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन गुरुवार की शाम क्रूड ऑयल की कीमत 105.25 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि भारत में भी तेल की कीमतों में जल्द इजाफा हो सकता है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियां
महंगी हो सकती हैं इलेक्ट्रिक गाड़ियां
अंतराष्ट्रीय डाटा निगम (IDC) इंडिया के अनुसंधान निदेशक नवकेंद्र सिंह ने कहा, "रूस और यूक्रेन सेमीकंडक्टर निर्माण के साथ-साथ महत्वपूर्ण गैसों और ऐसे धातुओं का उत्पादन करते हैं, जिनका उपयोग लिथियम बैटरी में किया जाता है।"
ऐसे में युद्ध के कारण लिथियम की भारी कमी आ सकती है और इस वजह से बैटरियों के दाम में भी वृद्धि देखी जा सकती है। इसका सीधा असर इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर भी पड़ेगा और इनकी कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
लिथियम की कमी
लिथियम की आपूर्ति में चल रही है कमी
बीते कुछ सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों की जबरदस्त मांग बढ़ी है और इसके साथ ही इसके बैटरी में लगने वाले लिथियम की मांग में भी इजाफा हुआ है।
इस वजह से लिथियम की वैश्विक आपूर्ति में कमी देखी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार यह कमी दशक के मध्य तक रहने की संभावना है।
सर्बिया की सरकार ने माइनिग कंपनी रियो टिंटो की एक लिथियम परियोजना के लाइसेंस को रद्द कर दिया है, जिससे यह संकट और बढ़ सकता है।