
क्या H-1B वीजा की शुल्क बढ़ोतरी अमेरिका की अर्थव्यवथा को अधिक प्रभावित करेगी?
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा शुल्क को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) करने के कदम ने लाखों विदेशी कुशल श्रमिकों के सपनों को झकझौंर दिया। इस आदेश के बाद टेक कंपनियों ने विदेशों में मौजूद अपने कर्मचारियों को तत्काल वापस लौटने का आदेश दिया है। ऐसे में हजारों की संख्या में विदेशी कर्मचारी उड़ानों के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। आइए जानते हैं यह फैसला अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा।
आदेश
अमेरिकी आदेश में क्या कहा गया है?
ट्रंप द्वारा 20 सितंबर को हस्ताक्षर किए गए कार्यकारी आदेश में कहा गया है कि H-1B वीजा आवेदनों के लिए अब 1 लाख डॉलर का भुगतान करना होगा। इससे टेक कंपनियों समेत भारतीय कर्मचारियों में खलबली मच गई। हालांकि, अब अमेरिकी प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वार्षिक शुल्क केवल नए H-1B वीजा आवेदनों पर लागू होगा। मौजूदा धारकों या नवीनीकरण पर यह शुल्क लागू नहीं होगा। बता दें कि 71-72 प्रतिशत H-1B वीजा भारतीयों को प्राप्त हैं।
प्रभाव
ट्रम्प के कदम से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ट्रंप के इस कदम से आप्रवासियों की तुलना में अमेरिकी आर्थिक विकास को अधिक नुकसान पहुंचेगा। अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियां विदेशों, विशेषकर भारत से इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और कोडर्स को नियुक्त करने के लिए H-1B वीजा पर ज्यादा निर्भर करती हैं। निवेश बैंक बेरेनबर्ग के अर्थशास्त्री अताकान बाकिस्कन ने द गार्जियन से कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का यह सख्त आदेश कंपनियों के लिए विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करना मुश्किल बनाने वाला है।
नीति
बाकिस्कन ने आदेश को बताया विकास विरोधी नीति
बाकिस्कन इस आदेश को ट्रंप प्रशासन की विकास विरोधी नीति निर्माण का उदाहरण बताया और कहा कि प्रतिभा पलायन से उत्पादकता पर भारी असर पड़ेगा। विश्लेषक फर्म बेरेनबर्ग ने हाल ही में अमेरिकी आर्थिक विकास के अपने अनुमान को 2 से घटाकर 1.5 प्रतिशत कर दिया है। बाकिस्कन ने चेतावनी दी है कि अगर ट्रंप अपने आप्रवासी-विरोधी रुख में बदलाव नहीं लाते हैं, तो 1.5 प्रतिशत का पूर्वानुमान जल्द ही आशावादी लग सकता है।
परेशानी
आदेश से होने वाले नुकसान की भरपाई हाेगी असंभव- बाकिस्कन
बाकिस्कन ने कहा, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में निवेश से प्रतिबंधात्मक आव्रजन नीतियों के तहत मानव पूंजी की हानि से होने वाले नुकसान की भरपाई होने की संभावना नहीं है।" ब्रोकर XTB की शोध निदेशक कैथलीन ब्रुक्स ने बताया कि अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, ऐपल और गूगल जैसी बड़ी कंपनियां तो वीजा हासिल करने के पैसा जमा कर देगी, लेकिन H-1B वीजा पर निर्भर अन्य छोटी कंपनियों को भविष्य में नए विदेशी कर्मचारियों की भर्ती करने में कठिनाई हो सकती है।
क्षेत्र
चिकित्सा क्षेत्र होगा सबसे ज्यादा प्रभावित
ट्रंप के इस फैलसे से अमेरिका कर चिकित्सा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। देश के ग्रामीण और कम सुविधा वाले शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के महत्वपूर्ण पदों का काम विदेशी प्रशिक्षित कर्मचारियों पर निर्भर हैं। माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट और अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार अमेरिका में हर 5 में से एक डॉक्टर अप्रवासी भारतीय है। इस तरह देश में कुल 1.76 लाख भारतीय चिकित्सा क्षेत्र में सेवा दे रहे हैं। शुल्क बढ़ने से इनकी संख्या में कमी आएगी।
कारण
अमेरिकी अस्पतालों में क्यों कम होगी भारतीय कर्मचारियों की संख्या?
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के स्वास्थ्य क्षेत्र में हर साल 10,000 से अधिक पद H-1B वीजा से विदेशी डॉक्टरों से भरे जाते हैं। इन पदों का वेतन सालाना 55,000 से 70,000 डॉलर (लगभग 48.40 लाख से 61.60 लाख रुपये ) के बीच होता है। प्रति वीजा आवेदन पर 88 लाख रुपये शुल्क होने से अस्पतालों के लिए विदेशी कर्मचारियों की भर्ती करना वित्तीय रूप से असंभव हो जाएगा, जिनमें से कई पहले ही कम लाभ पर काम कर रहे हैं।
जानकारी
अमेरिका में 2034 तक आ सकती है 1.24 लाख डॉक्टरों की कमी
विदेश स्वास्थ्य पेशेवर अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के अभिन्न अंग हैं। शुल्क बढ़ोतरी के संभावित परिणाम बहुत गंभीर होंगे।एक दीर्घकालिक अनुमान के अनुसार 2034 तक अमेरिका को 1.24 डॉक्टरों की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
शिक्षा
शिक्षा के क्षेत्र पर भी पड़ेगा असर
अमेरिकी यूनिवर्सिटी और गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठन वैज्ञानिक और शैक्षणिक कार्यों के लिए विदेशी प्रतिभाओं पर निर्भर हैं। इन संस्थानों को हर साल हजारों की संख्या में H-1B वीजा में छूट दी जाती है। अगर, आदेश के तहत ये छूटें हटा दी जाती हैं, तो विश्वविद्यालयों को अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसरों, शोधकर्ताओं और स्नातक छात्रों की भर्ती में कठिनाई हो सकती है। इसी तरह फार्मास्यूटिकल्स, जैव प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान कार्यक्रम बाधित हो सकते हैं।
परिणाम
अमेरिका में और क्या दिख सकते हैं परिणाम?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस आदेश का असर अमेरिका में बहुत गहरा हो सकता है। BBC की रिपोर्ट के अनुसार, वीजा शुल्क वृद्धि से अमेरिका में कई परियोजनाओं की व्यावसायिक निरंतरता बाधित हो सकती है। ग्राहक पुनः मूल्य निर्धारण पर जोर दे सकते हैं या परियोजनाओं में देरी कर सकते हैं, जबकि कंपनियां स्टाफिंग मॉडल पर पुनर्विचार कर सकती हैं। TCS और इंफोसिस जैसी भारतीय कंपनियां बढ़ी हुई वीजा लागत का बोझ अमेरिकी ग्राहकों पर डाल सकती हैं।