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क्या H-1B वीजा की शुल्क बढ़ोतरी के बाद चीन के K-वीजा की मांग बढ़ेगी?
H-1B वीजा की शुल्क बढ़ोतरी के बीच चीन ने शुरू किया K-वीजा

क्या H-1B वीजा की शुल्क बढ़ोतरी के बाद चीन के K-वीजा की मांग बढ़ेगी?

Sep 22, 2025
04:44 pm

क्या है खबर?

H-1B वीजा पर अमेरिका की सख्ती चीन के लिए नया मौका बनकर उबरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 सितंबर को H-1B वीजा शुल्क को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। उसके बाद प्रमुख टेक कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से तुरंत अमेरिका वापस बुला लिया। इस बीच चीन ने अपने K-वीजा के जरिए प्रतिभाओं को आकर्षित करने के कदम उठाने शुरू कर दिए। आइए जानते हैं कैसे।

कार्यक्रम

चीन 1 अक्टूबर से शुरू कर रहा K-वीजा कार्यक्रम

चीन 1 अक्टूबर से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्र में शीर्ष पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए K-वीजा शुरू कर रहा है। यह कदम संशोधित विदेशी प्रवेश नियमों का हिस्सा है। चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग इसको मंजूरी दी है। बता दें कि चीन में पहले से ही एक दर्जन अलग-अलग वीजा हैं। इनमें काम के लिए Z-वीजा, पढ़ाई के लिए X, व्यापार के लिए M, पर्यटन के लिए L और उच्च-स्तरीय प्रतिभाओं के लिए R-वीजा शामिल हैं।

फायदा

K-वीजा कार्यक्रम में क्या होगा फायदा?

जिन लोगों को K-वीजा के लिए मंजूरी मिलेगी, उन्हें चीन में प्रवेश करने, उनके प्रवास और वैधता अवधि में लचीलापन दिया जाएगा। इसमें चीन आने वाले लोग STEM क्षेत्रों में प्रासंगिक उद्यमशीलता और व्यावसायिक गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं। आवेदक को किसी चीनी नियोक्ता या फर्म से निमंत्रण हासिल करने की भी आवश्यकता नहीं होगी। प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम में आयु सीमा 45 वर्ष और उत्कृष्ट युवा वैज्ञानिक (विदेशी) निधि परियोजना में 40 वर्ष होगी।

लक्ष्य

इन देशों की प्रतिभाओं को आकर्षित करना चाहता है चीन

चीन K-वीजा कार्यक्रम के जरिए पश्चिमी देशों के साथ भारत, जापान और दक्षिण कोरिया की शीर्ष प्रतिभाओं को भी अपनी ओर आकर्षित करना चाहता है। एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि चीन के विकास के लिए दुनिया भर की प्रतिभाओं की भागीदारी की आवश्यकता है और चीन का विकास उनके लिए अवसर भी प्रदान करता है। वीजा के लिए आवेदन की पूरी प्रक्रिया की जानकारी चीनी दूतावास की वेबसाइट पर दी जाएगी।

सवाल

क्या शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करेगा K-वीजा?

सिंगापुर स्थित नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में लोक नीति और वैश्विक मामलों के प्रोफेसर लियू होंग ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा, "आव्रजन पर ट्रंप प्रशासन की ओर से उठाए जा रहे सख्त कदमों से शीर्ष प्रतिभाएं चीन का रुख करेंगी। हालांकि, K-वीजा को अमेरिका के H-1B वीजा के समकक्ष नहीं माना जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "H-1B वीजा के लिए आवेदन करने वालों के पास बेहतर शैक्षणिक योग्यता, कार्य अनुभव और न्यूनतम वेतन होता है।"

बयान

K-वीजा की घोषणा से मिली बड़ी राहत

पेकिंग यूनिवर्सिटी में रोबोटिक्स में PHD कर रहे पाकिस्तानी नागरिक राहदर हुसैन अफरीदी ने कहा, "K-वीजा की घोषणा से मुझे बहुत राहत मिली है। मैं पिछले 6 सालों से चीन में रह रहा हूं और अब बस एक वीजा की दूरी पर मुझे चीन छोड़ने के लिए कहा जाएगा। मैं बहुत बड़ी अनिश्चितता के साथ जी रहा था।" सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के संस्थापक वांग हुईयाओ ने बताया कि यह घटनाक्रम चीन की आव्रजन नीति में बड़ा बदलाव है।

उम्मीद

चीन में आएगी प्रतिभाओं की लहर- वांग

वांग ने कहा, "मेरा मानना ​​है K-वीजा के चलते चीन में प्रतिभाओं की एक लहर आने लगेगी और यह रुझान बढ़ता ही रहेगा। अमेरिका ज्यादा सख्त हुआ है और चीन ज्यादा मौके दे रहा है।" बता दें, चीन में पहले बहुराष्ट्रीय निगमों या पारिवारिक पुनर्मिलन के लिए प्रवासी चीनी लोगों को आकर्षित करने पर ध्यान दिया जाता था। उसके तहत फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, स्पेन सहित 6 दर्जन से अधिक देशों को 30 दिन का मुफ्त वीजा दिया गया था।

हालात

STEM स्नातक पढ़ाई पूरी होने के बाद छोड़ रहे अमेरिका

सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के अनुसार, कई STEM स्नातक अपनी पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद अमेरिका छोड़ रहे हैं। साल 2019 में स्नातकोत्तर STEM कार्यबल ने श्रम मूल्य में 409 अरब डॉलर (35.99 लाख करोड़ रुपये) का योगदान दिया, जो अमेरिकी GDP का लगभग दो प्रतिशत था। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के हालात जल्दी नहीं बदले तो शीर्ष छात्रों को आकर्षित करने में अमेरिका की ऐतिहासिक बढ़त खतरे में पड़ सकती है।