LOADING...
पाकिस्तान ने खैबर पख्तूनख्वा पर क्यों किया हवाई हमला और इसे कैसे दिया अंजाम?
पाकिस्तानी सेना ने चीन निर्मित JF-17 लड़ाकू विमानों से खैबर पख्तूनख्वा पर बरसाए थे गोले

पाकिस्तान ने खैबर पख्तूनख्वा पर क्यों किया हवाई हमला और इसे कैसे दिया अंजाम?

Sep 22, 2025
07:36 pm

क्या है खबर?

पाकिस्तान की वायुसेना ने रविवार और सोमवार की रात अपने अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हवाई हमले करते हुए कई बम बरसाए। इन हमलों में बच्चों और महिलाओं समेत 30 लोगों की मौत हो गई। पाकिस्तानी सेना ने रात करीब 2 बजे अफगानिस्तान सीमा के पास लंडी कोटल तहसील में स्थित मात्रे दारा गांव में ये हमले किए थे। यह एक रिहायशी इलाका है। आइए जानते हैं पाकिस्तान ने यह हमला क्यों किया ओर इसे कैसे अंजाम दिया।

क्षेत्र

क्यों खास है खैबर पख्तूनख्वा?

खैबर पख्तूनख्वा पाकिस्तान का उत्तर-पश्चिमी प्रांत है। खैबर दर्रा इसका सबसे महत्वपूर्ण भौगोलिक हिस्सा है, जो ऐतिहासिक रूप से भारत और मध्य एशिया के बीच संपर्क का एक प्रमुख मार्ग रहा है। यह उत्तर में अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत, दक्षिण में बलूचिस्तान, पूर्व में पंजाब और इस्लामाबाद और पश्चिम में अफगानिस्तान की खुली सीमा से जुड़ा हुआ है। भू-राजनीतिक दृष्टि से यह इलाका पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक रणनीतिक पुल की तरह है।

खजाना

प्राकृतिक संसाधनों का खजाना है खैबर पख्तूनख्वा 

इस प्रांत का बड़ा आर्थिक महत्व है। कोहाट, बन्नू और करक जिले तेल और गैस के भंडार के लिए प्रसिद्ध हैं। पाकिस्तान की लगभग 35-40 प्रतिशत प्राकृतिक गैस इसी क्षेत्र से निकलती है। करक जिले के लकी मरवत इलाके में कई सक्रिय तेल कुएं मौजूद हैं। यहां दुर्लभ खनिज तत्व भी पाए जाते हैं, जिनका उपयोग आधुनिक तकनीकी उपकरणों, मिसाइलों, बैटरियों और मोबाइल फोनों में होता है। इसके चलते यह स्थानीय संघर्षों और अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बना हुआ है।

हमला

पाकिस्तान ने क्यों किया हमला?

पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने खैबर पख्तूनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। पाकिस्तान की सेना पिछले 3 हफ्तों से केवल उग्रवादी समूह TTP के ठिकानों पर कार्रवाई की बात कर रही है, जबकि इसमें रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया जा रहा है। बता दें कि खैबर पख्तूनख्वा को TTP का गढ़ माना जाता है, जो पाकिस्तान में हो रहे हमलों और बमबारी के लिए जिम्मेदारी लेता रहा है।

विरोध

खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी सेना को करना पड़ता है विरोध का सामना

यह प्रांत पश्तून समुदाय से संबंधित है, जो खुद को अफगानिस्तान के पख्तूनों से जुड़ा मानते हैं। इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना को अक्सर स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ता है। यहां TTP जैसे आतंकी संगठन सक्रिय हैं, जो सेना के खिलाफ खुलेआम संघर्ष करते हैं। सेना के जमीनी ऑपरेशन यहां अक्सर विफल होते हैं। इसी कारण वे हवाई हमलों का सहारा लेते हैं। हालांकि, नागरिकों की मौत के चलते इन हमलों की वैधता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

जानकारी

खैबर पख्तूनख्वा में अमेरिका की भी है दिलचस्पी

कुछ विश्लेषकों ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना इस इलाके के तेल और खनिज संसाधनों को अमेरिका की कंपनियों को सौंपना चाहती है, लेकिन TTP की मौजूदगी से यह संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान ने हवाई हमला किया है।

हमले

खैबर पख्तूनख्वा में इस साल हुई 605 आतंकी घटनाएं

प्रांतीय पुलिस विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में इस साल अगस्त तक 605 आतंकी घटनाएं हुई हैं, जिनमें 138 नागरिकों की मौत हुई और 352 घायल हो गया। इन घटनाओं में 79 पुलिसकर्मी भी मारे गए और 130 घायल हुए हैं। अकेले अगस्त में हुए 129 आतंकवादी हमलों में 17 नागरिकों और 13 पुलिसकर्मियों की मौत हुई। इसी तरह 51 नागरिक और 46 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। इस दौरान 32 आतंकवादियों को भी मार गिराया गया।

हमला

पाकिस्तानी सेना ने कैसे दिया हमले को अंजाम?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने चीनी लड़ाकू विमान JF-17 थंडर से 8 LS-6 बम गिराकर इन हमलों को अंजाम दिया है। LS-6 एक चीनी निर्मित ग्लाइड बम है। इन बमों को लुओयांग इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर (EOTDC) द्वारा विकसित किया गया है। इन्हें थंडर स्टोन ग्लाइडिंग गाइडेड बम या LS-GGB भी कहा जा सकता है। ये चीन के बेइदोउ उपग्रह नेविगेशन सिस्टम का उपयोग करते हुए GPS या लेजर मार्गदर्शन वाले नेविगेशन सिस्टम से संचालित होते हैं।

प्रक्रिया

कैसे काम करते हैं LS-6 बम?

यह एक गाइडेंस/विंग किट है जो पारंपरिक फ्री-फॉल बमों (डंब) को सटीक हथियारों में बदलने की अनुमति देता है। इससे वे जमीन पर स्थिर लक्ष्यों पर हमला कर सकते हैं। इसे 4 आकार (500, 550, 100 और 50 किलो) के बमों से जोड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें फोल्डेबल विंग्स और क्रूसिफॉर्म टेल सरफेस की जोड़ी भी है, जो मिश्रित सामग्री और एल्युमीनियम मिश्र धातुओं से बनी है। यह इनकी रेंज बढ़ाने के साथ मार्गदर्शन भी करती है।

सटीकता

कितनी है LS-6 बमों की सटीकता?

इसकी मारक क्षमता विमान की ऊंचाई और गति पर निर्भर करती है। 8,000 मीटर की ऊंचाई से छोड़े जाने पर इसकी मारक क्षमता 40 किलोमीटर और लगभग 10,000 मीटर की ऊंचाई से छोड़े जाने पर 60 किलोमीटर होती है। लक्ष्य से लगभग 15 मीटर की दूरी पर स्थित यह आयुध मैक 1 (1,234 किमी प्रति घंटा) की गति से वार करता है। इसके हमले लक्ष्य के 5 मीटर के आस-पास तक गिरते हैं, जो उन्हें बेहद खतरनाक बनाते हैं।