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    ईरान: जनरल सुलेमानी की मौत के बाद किसने संभाली उनकी कुर्सी?

    ईरान: जनरल सुलेमानी की मौत के बाद किसने संभाली उनकी कुर्सी?
    लेखन प्रमोद कुमार
    Jan 08, 2020, 09:15 pm 1 मिनट में पढ़ें
    ईरान: जनरल सुलेमानी की मौत के बाद किसने संभाली उनकी कुर्सी?

    अमेरिकी ड्रोन हमलों में ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत के बाद इस्माइल कानी को कुद्स फोर्स का प्रमुख बनाया गया है। ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव को देखते हुए कानी की स्थिति बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि कुद्स फोर्स विदेशों में अभियानों को अंजाम देती है। यह ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशन गार्ड कॉर्प्स की एक विशेष शाखा है। आइये, कुद्स फोर्स के नए प्रमुख इस्माइल कानी के बारे मे विस्तार से जानते हैं।

    कानी के बारे में खामनेई ने क्या बताया?

    प्रमुख बनने से पहले कानी कुद्स फोर्स के डिप्टी कमांडर थे। सुलेमानी की मौत के बाद ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह खामनेई ने ऐलान किया कि वो ब्रिग्रेडियर जनरल इस्माइल कानी को इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की कुद्स फोर्स का कमांडर घोषित करते हैं। खामनेई ने कहा कि कानी ने सुलेमानी के साथ सालों काम किया है और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख कमांडर रहे। उन्होंने कहा कि कुद्स फोर्स अब भी सुलेमानी की रणनीति पर ही चलेगी।

    कौन है इस्माईल कानी?

    कानी का जन्म ईरान के उत्तरी खोरासन प्रांत के बॉजनॉर्ड इलाके में हुआ था। वो 1982 में खोरासन प्रांत की IRGC डिवीजन में शामिल हुए। बाद में यह डिवीजन फिफ्थ नास्र डिवीजन के नाम से जानी गई। छह साल बाद 1988 में ईरान-इराक युद्ध की समाप्ति के बाद कानी को IRGC की ग्राउंड फोर्स के 8वें ऑपरेशनल जोन में तैनात डिवीजन का डिप्टी प्रमुख बना दिया गया। इस डिवीजन का मुख्यालय महशाद में मौजूद है।

    कैसे रहे सुलेमानी और कानी के रिश्ते?

    कानी ने 2015 में दिए एक इंटरव्यू में सुलेमानी के साथ अपने संबंधों पर बात की थी। उन्होंने कहा था, "हम और हमारे साथियों को हमारे शहर और जगहें नहीं जोड़ती। हम सब युद्ध के साथी हैं। युद्ध ने हमें दोस्त बनाया था। मैं उनसे बड़ा हूं या वो मुझसे बड़े हैं, इस बात का फर्क नहीं पड़ता। वो कुछ मामलों में मुझसे आगे हैं। मुश्किल हालातों में हुई दोस्ती हमेशा गहरी और लंबी चलने वाली होती है।"

    ईरान की IRGC वहां की सेना से कैसे अलग है?

    ईरानी क्रांति के बाद जब रुहोल्लाह खुमौनी वहां के सुप्रीम लीडर बने तो उन्होंने देश की सेना से अलग IRGC फोर्स बनाई। ईरान के संविधान में वहां की सेना को देश की सीमा और पब्लिक ऑर्डर को संभालने का जिम्मा और IRGC को इस्लामिक व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी दी गई। ईरान की सेना में 3.5 लाख जवान है और IRGC के जवानों की संख्या 1.5 लाख से ज्यादा है। कुद्स फोर्स IRGC की ही एक ब्रांच है।

    क्या काम करती है कुद्स फोर्स?

    ईरान-इराक युद्ध के बाद कुद्स फोर्स का गठन किया गया था। इसका काम अपरंपरागत युद्ध और विदेशों में ईरान के अभियानों को अंजाम देना है। बताया जाता है कि है सद्दाम हुसैन के खिलाफ कुर्दों को, लेबनान में हिजबुल्लाह और सीरिया में बशर अल-असद को मजबूत करने में कुद्स फोर्स ने अहम भूमिका निभाई थी। कुद्स फोर्स ईरान का समर्थन करने वालों और दूसरे देशों के सरकार विरोधियों को हथियारों से लेकर आर्थिक मदद तक देती है।

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