म्यांमार में गृह युद्ध के बीच आज चुनाव, एक-तिहाई देश नहीं करेगा मतदान; जानें जरूरी बातें
क्या है खबर?
भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में गंभीर राजनीतिक संकट और गृह युद्ध के बीच आज आम चुनाव के पहले चरण का मतदान हो रहा है। 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद ये पहले चुनाव है, जो पूरी तरह से सेना की देखरेख में हो रहे हैं। 3 चरण में होने वाले चुनावों के तहत 330 में से 265 टाउनशिप में मतदान कराया जाएगा। आइए म्यांमार के चुनावों से जुड़ी अहम बातें जानते हैं।
चरण
3 चरणों में एक महीने तक चलेंगे चुनाव
सेना द्वारा नियुक्त किया गया संघीय चुनाव आयोग देश में 3 चरणों में चुनाव करा रहा है। पहले चरण के तहत आज यानी 28 दिसंबर को 102 टाउनशिप में वोट डाले जा रहे हैं। इनमें राजधानी नेपीडॉ, यांगून और मांडले जैसे शहर शामिल हैं। 11 जनवरी, 2026 को दूसरे चरण में 100 टाउनशिप में मतदान कराया जाएगा। वहीं, 25 जनवरी, 2026 को तीसरे चरण में 63 टाउनशिप में मतदान होगा। जनवरी, 2026 में ही मतगणना होने की उम्मीद है।
उम्मीदवार
प्रमुख पार्टियों और उम्मीदवार के बारे में जानिए
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चुनाव में 57 राजनीतिक पार्टियों के 5,000 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। ये उम्मीदवार 3 विधानमंडलों की लगभग 1,100 सीटों के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे। हालांकि, सिर्फ 6 पार्टियां पूरे देश में लड़ रही हैं। सबसे बड़ी पार्टी जुंटा की यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (USDP) है। चुनावी माहौल पूरी तरह सैन्य जुंटा के पक्ष में है। संसद की 25 प्रतिशत सीटें सेना के लिए आरक्षित हैं।
हिस्से
कई हिस्सों में नहीं होंगे चुनाव, सेना-विरोधी पार्टियां बाहर
लगातार जारी लड़ाई और विद्रोह के चलते म्यांमार के बड़े हिस्सों में चुनाव हीं नहीं होंगे। खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों और मध्य म्यांमार के कुछ हिस्सों में मतदान नहीं होगा। 56 टाउनशिप के हजारों वार्ड में वोट नहीं डाले जाएंगे, जो देश का करीब एक-तिहाई हिस्सा है। आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) को भंग कर दिया गया है। ज्यादातर सेना-विरोधी पार्टियां भी चुनावी मैदान से बाहर हैं।
विवाद
क्यों निष्पक्ष नहीं बताए जा रहे चुनाव?
चुनाव ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब सबसे लोकप्रिय सियासी नेता आंग सान सू की जेल में हैं। उनकी पार्टी भी भंग कर दी गई है। नए कानून के तहत सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जो सेना के आलोचक हैं। इस कानून में चुनाव की आलोचना को भी अपराध घोषित किया गया है। सेना के नियंत्रण वाले इलाकों में ही चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में इनकी निष्पक्षता और स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
UN
UN समेत कई पश्चिमी देशों ने की आलोचना
जापान और मलेशिया सहित कई एशियाई देशों ने भी चुनाव की आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र (UN) का साफ कहना है कि जब तक हिंसा खत्म नहीं होती और सभी राजनीतिक पक्षों के साथ संवाद शुरू नहीं होता, तब तक चुनाव बेमतलब है। ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देशों ने भी चुनावी प्रक्रिया को खारिज किया है। आसियान समूह ने भी म्यांमार के सैन्य नेतृत्व को अपने शिखर सम्मेलनों से दूर रखा है। हालांकि, चीन ने चुनावों का समर्थन किया है।