
अमेरिकी सांसदों ने की H-1B वीजा नियमों में बदलाव की आलोचना, जानिए क्या कहा
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा कार्यक्रम के नियमों में बदालव के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इन बदलावों में विदेशी कर्मचारियों के लिए H-1B वीजा शुल्क को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) करना शामिल है। अमेरिकी सांसदों और भारतीय समुदाय के नेताओं ने इसकी आलोचना करते हुए इससे अमेरिका के तकनीकी क्षेत्र के पंगु होने की चेतावनी दी है। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है।
कांग्रेस
अमेरिकी कांग्रेसी ने शुल्क वृद्धि को बताया लापरवाहीपूर्ण
अमेरिकी कांग्रेस सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने शुल्क बढ़ोतरी को बड़ी लापरवाही करार देते हुए कहा कि इससे अमेरिका उच्च-कुशल श्रमिकों से वंचित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इन श्रमिकों ने नवाचार को बढ़ावा दिया है और लाखों अमेरिकियों को रोजगार देने वाले व्यवसाय शुरू किए हैं। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के पूर्व सलाहकार अजय भूटोरिया ने बदलाव को चौंकाने वाला बताया हुए कहा कि इससे प्रतिभाएं कनाडा और यूरोप की ओर पलायन कर सकती हैं।
दुर्भाग्यपूर्ण
विशेषज्ञों ने फैसले को बताया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण
फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज के खंडेराव कंद ने इस फैसले को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया, खासकर अमेरिका में पढ़े STEM स्नातकों के लिए। कैटो इंस्टीट्यूट के डेविड जे. बियर ने बताया कि भारतीय H-1B पेशेवरों ने करों और सेवाओं के माध्यम से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने इस फैसले की निंदा करते हुए इसे नकारात्मक सोच और भेदभाव का प्रत्यक्ष उदाहरण करार दिया है। उन्होंने कहा कि इसका अमेरिका को खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
बचाव
व्हाइट हाउस ने किया फैसले का बचाव
व्हाइट हाउस ने फैसले का बचाव करते हुए कंपनियों द्वारा H-1B कार्यक्रम के दुरुपयोग का हवाला दिया है, जो कथित तौर पर अमेरिकियों की जगह सस्ते विदेशी श्रमिकों को नियुक्त कर रही हैं। यह आदेश अमेरिकी कंप्यूटर विज्ञान स्नातकों में बढ़ती बेरोजगारी, H-1B भर्ती से जुड़ी बड़े पैमाने पर छंटनी और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं की ओर इशारा करता है। अमेरिकी जनगणना ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2000 से 2019 तक विदेशी STEM कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि हुई है।