
अमेरिका में डॉक्टरों को मिल सकती है H-1B वीजा से छूट- रिपोर्ट
क्या है खबर?
अमेरिका में H-1B वीजा के लिए 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) का शुल्क लिए जाने की घोषणा के बीच एक राहत वाली खबर आई है। ब्लूमबर्ग ने बताया कि अमेरिका डॉक्टरों को H-1B वीजा के शुल्क से छूट मिल सकती है। अभी इस पर बातचीत चल रही है। रिपोर्ट में व्हाइट हाउस के प्रवक्ता टेलर रोजर्स के हवाले से कहा गया है कि डॉक्टर भी छूट प्राप्त लोगों में शामिल हो सकते हैं।
छूट
चिकित्सा निकायों में अमेरिका को उल्टा पड़ सकता है दांव
अमेरिका में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भले ही वीजा के नए नियम से ज्यादा नुकसान न हो, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र में H-1B वीजा के लिए शुल्क से दांव उल्टा पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ सबसे बड़े चिकित्सा निकायों द्वारा ग्रामीण अमेरिका के लिए जोखिम की ओर इशारा करने के बाद छूट देने का फैसला लिया है। बता दें कि अमेरिका के ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं में चिकित्सकों की कमी है।
जानकारी
राष्ट्रहित में माफ कर सकते हैं शुल्क
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 सितंबर को जिस H-1B वीजा के कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, उसमें साफ है कि होमलैंड सुरक्षा सचिव कर्मचारियों को व्यक्तिगत आधार, विशिष्ट कंपनी-उद्योग के लिए कर्मचारियों की जरूरत पर 'राष्ट्रीय हित में' आवेदन शुल्क माफ कर सकते हैं।
आदेश
क्या है H-1B वीजा से जुड़ा आदेश?
ट्रंप की ओर से 20 सितंबर को हस्ताक्षर किए गए कार्यकारी आदेश में कहा गया है कि H-1B वीजा आवेदनों के लिए अब 1 लाख डॉलर का भुगतान करना होगा। इससे टेक कंपनियों समेत भारतीय कर्मचारियों में खलबली मच गई। हालांकि, अब अमेरिकी प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वार्षिक शुल्क केवल नए H-1B वीजा आवेदनों पर लागू होगा। मौजूदा धारकों या नवीनीकरण पर यह शुल्क लागू नहीं होगा। बता दें कि 71-72 प्रतिशत H-1B वीजा भारतीयों को प्राप्त हैं।
वीजा
क्या है H-1B वीजा?
H-1B वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां दक्ष कर्मचारियों को नौकरियां देती हैं। ये तकनीकी, वैज्ञानिक और व्यावसायिक विशेषज्ञता वाले पेशेवरों को दिया जाता है। ये वीजा 3 साल के लिए होता है और इसे 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता है। हर साल लाखों लोग इसके लिए आवेदन करते हैं, लेकिन लॉटरी के जरिए केवल 85,000 पेशेवरों को ही ये मिलता है। वीजा आवेदन करने वालों में सबसे अधिक 72 प्रतिशत भारतीय होते हैं।