
सीरिया: 5 साल के लिए इस्लामी शासन लागू, अंतरिम राष्ट्रपति ने अस्थायी संविधान पर किए हस्ताक्षर
क्या है खबर?
उथल-पुथल से गुजर रहे सीरिया में इस्लामी शासन लागू हो गया है। अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने इस संबंध में एक संवैधानिक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार देश अगले 5 सालों तक इस्लामी शासन के अधीन रहेगा।
नए संविधान में कहा गया है कि इस्लाम देश के राष्ट्रपति का धर्म है।
संविधान के दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि अब इस्लामी न्यायशास्त्र 'कानून का मुख्य स्रोत' होगा, जबकि पहले ये 'एक मुख्य स्रोत' होता था।
संविधान
नए संविधान में क्या-क्या प्रावधान हैं?
BBC के अनुसार, अस्थायी संविधान महिलाओं के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
संविधान का मसौदा तैयार करने वाली शरा समिति के 7 सदस्यों में से एक अब्दुल हामिद अल-अवाक ने कहा कि इसमें पिछले संविधान के कुछ प्रावधानों को बरकरार रखा गया है। इसमें यह शर्त भी शामिल है कि राष्ट्राध्यक्ष मुस्लिम होना चाहिए तथा इस्लामी कानून ही न्यायशास्त्र का मुख्य स्रोत है।
प्रावधान
चुनाव होने तक देश को चलाएगी समावेशी सरकार
नए दस्तावेज़ में कहा गया है कि अगले 5 साल के दौरान राष्ट्रपति के पास कार्यकारी अधिकार होंगे, लेकिन उनके पास आपातकाल घोषित करने वाली केवल एक ही असाधारण शक्ति होगी।
इसके अलावा एक नई पीपुल्स असेंबली बनाई जाएगी, जो पूरी विधायी प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होगी।
अंतरिम राष्ट्रपति ने एक समावेशी सरकार बनाने का संकल्प भी लिया, जो सीरिया में नए स्थायी संविधान के अंतिम रूप दिए जाने और चुनाव होने तक देश को चलाएगी।
बयान
अंतरिम राष्ट्रपति बोले- ये सीरिया का नया इतिहास होगा
अस्थायी संविधान पर हस्ताक्षर करने के बाद शरा ने कहा, "हमें उम्मीद है कि संवैधानिक घोषणा सीरिया के लिए एक नए इतिहास की शुरुआत होगी, जहां हम उत्पीड़न को न्याय से और पीड़ा को दया से बदल देंगे।"
वहीं, संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गेइर पेडरसन ने कहा, "कानून के शासन को बहाल करने की दिशा में कदम का हम स्वागत करते हैं। यह घटनाक्रम संभावित रूप से एक महत्वपूर्ण कानूनी शून्य को भरता है।"
तख्तापलट
सीरिया में बीते साल हुआ था तख्तापलट
सीरिया में बीते साल दिसंबर में हयात तहरीर अल शाम (HTS) के नेतृत्व में कई विद्रोही संगठनों ने दशकों से चली आ रही बशर अल-असद की सरकार को उखाड़ फेंका था।
विद्रोहियों ने चंद दिनों में ही राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश छोड़ रूस में शरण लेनी पड़ी थी।
इसके बाद विद्रोही गुटों के सैन्य कमांडरों ने शारा को अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया था।