हमले के बाद सलमान रुश्दी की हालत गंभीर, गंवानी पड़ सकती है एक आंख
शुक्रवार को हुए हमले के बाद भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी की हालत गंभीर बनी हुई है और वो वेंटिलेटर हैं। चाकू से हुए हमले में उनके लीवर को नुकसान पहुंचा है और गंभीर चोट के चलते उन्हें एक आंख भी गंवानी पड़ सकती है। रुश्दी पर हमला उस वक्त हुआ, जब वे न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में संबोधन देने जा रहे थे। हमलावर ने महज 20 सेकंड के अंदर उन पर 10-15 वार किए थे।
कौन हैं सलमान रुश्दी?
सलमान रुश्दी का जन्म 19 जून, 1947 को मुंबई के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। हालांकि, वो खुद को नास्तिक बताते हैं। 1981 में आए उपन्यास 'मिडनाइट चिल्ड्रन्स' के जरिये उन्हें खूब शोहरत मिली। इस किताब के लिए उन्हें उस साल बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1988 में उनकी 'द सैटनिक वर्सेज' किताब प्रकाशित हुई थी, जिसका कई मुस्लिम देशों ने भारी विरोध किया था। भारत और ईरान समेत कई देशों में यह प्रतिबंधित हो गई थी।
फिलहाल कैसी है रुश्दी की सेहत?
BBC के अनुसार, रुश्दी के एजेंट एंड्रयू वायली ने बताया कि उनकी सर्जरी हुई है। फिलहाल वे वेंटिलेटर पर हैं और बोल नहीं पा रहे हैं। उनकी एक आंख जा सकती है। उनकी बांह की कुछ नसें कटी हैं और लीवर को नुकसान पहुंचा है।
प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या बताया?
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमलावर दर्शकों के बीच काला मास्क पहने बैठा था। वह दर्शकों के बीच से छलांग लगाकर स्टेज पर पहुंचा और रुश्दी पर वार करने शुरू कर दिए। करीब पांच मिनट तक स्टेज पर पड़े रहने के बाद रुश्दी को हेलिकॉप्टर के जरिये अस्पताल पहुंचाया गया। इसी बीच कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे लोगों ने हमलावर को काबू कर लिया। फिलहाल हमलावर पुलिस की हिरासत में है और उससे पूछताछ हो रही है।
हमलावर कौन है?
हमलावर की पहचान न्यू जर्सी के फेयरव्यू इलाके में रहने वाले 24 वर्षीय हादी मतर के तौर पर हुई है। अभी तक हमले की मंशा का पता नहीं चल पाया है और पुलिस जांच में FBI की मदद ले रही है।
'द सैटनिक वर्सेज' के बाद विवादों में आए रुश्दी
1988 में रुश्दी की 'द सैटनिक वर्सेज' नामक किताब प्रकाशित हुई थी। इससे मुस्लिम समुदाय आक्रोशित हो गया। किताब में लिखी बातों को ईशनिंदा करार दिया गया और कई देशों में रुश्दी के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे। इन प्रदर्शनों में 59 लोगों की मौत हुई थी। विरोध के चलते रुश्दी नौ सालों तक छिपे रहे थे। किताब से भड़के ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी के खिलाफ मौत का फतवा जारी कर दिया। इससे कूटनीतिक संकट बढ़ गया।
ईरान ने तोड़े ब्रिटेन से राजनयिक संबंध
ईरान रुश्दी की इस किताब से इतना आहत था कि उसने ब्रिटेन से अपनी राजनयिक संबंध तक तोड़ लिए थे। हालांकि, पश्चिमी देशों से रुश्दी को समर्थन मिल रहा था और उनकी इस विवादित किताब को कुछ पुरस्कार भी मिले। भारत पहला देश था, जिसने इस किताब पर प्रतिबंध लगाया। उस वक्त राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे। भारत के बाद पाकिस्तान और फिर कुछ अफ्रीकी देशों ने भी अपने यहां इस किताब पर पाबंदी लगा दी।