वेंटीलेटर से हटे सलमान रुश्दी, बोलना शुरू किया; हमलावर ने खुद को बताया निर्दोष
शुक्रवार को एक कट्टरपंथी हमले में घायल हुए भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी की हालत में सुधार हुआ है और वह वेंटीलेटर से हट गए हैं। उनके एजेंट एंड्रयू वायली ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि रुश्दी बात भी कर रहे हैं। इस बीच उन पर हमलावर करने वाले शख्स ने कोर्ट में खुद को निर्दोष बताया है, वहीं सरकारी पक्ष ने कहा है कि उसने सोची-समझी साजिश के तहत हमला किया था।
सलमान रुश्दी पर शुक्रवार को न्यूयॉर्क में किया गया था हमला
अपनी किताब 'द सैटनिक वर्सेज' के कारण कई दशक से मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर चल रहे सलमान रुश्दी पर शुक्रवार को अमेरिका के न्यूयॉर्क में हमला किया गया था। वह यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करने आए थे, लेकिन जैसे ही वह अपना संबोधन शुरू करने के लिए आगे बढ़े, दर्शकों के बीच काला मास्क पहनकर बैठा हमलावर छलांग लगाकर स्टेज पर आ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर ने महज 20 सेकंड के अंदर 10-15 वार किए।
रुश्दी की आंख, हाथ और लिवर में चोट, जा सकती है आंख
रुश्दी हमले में गंभीर रूप से घायल हुए और करीब पांच मिनट स्टेज पर पड़े रहने के बाद उन्हें हेलीकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया। उनकी आंख, हाथ और लिवर में चोट आई है। आशंका है कि वह अपनी एक आंख खो सकते हैं।
हमलावर के ईरान से संबंध होने की आशंका
हमलावर की बात करें तो उसकी पहचान न्यू जर्सी के फेयरव्यू इलाके के रहने वाले 24 वर्षीय हादी मतर के तौर पर हुई है। आशंका जताई जा रही है कि इस हमले का संबंध रुश्दी के 'द सैटनिक वर्सेज' से हो सकता है। इसके अलावा उसके ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड से संबंध होने की आशंका भी जताई जा रही है। हालांकि अभी तक इस संबंध में कुछ स्पष्ट नहीं है और जांच जारी है।
हमलावर ने कोर्ट में खुद को बताया निर्दोष
पश्चिमी न्यूयॉर्क की कोर्ट में पेशी केर दौरान हादी मतर ने खुद को निर्दोष बताया। वह काला-सफेद जंपसूट और एक सफेद मास्क पहनकर कोर्ट में पेश हुआ और उसके हाथों में हथकड़ियां लगी हुई थीं। सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि मतर ने जानबूझकर रुश्दी को नुकसान पहुंचाया, कार्यक्रम का एडवांस पास लिया और एक फर्जी ID लेकर एक दिन पहले कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गया। उन्होंने कहा, "यह एक लक्षित, अकारण और पूर्वनियोजित हमला था।"
भारत के मुंबई में जन्मे थे रुश्दी
सलमान रुश्दी का जन्म 19 जून, 1947 को मुंबई के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था, हालांकि वो खुद को नास्तिक बताते हैं। 1981 में आए उपन्यास 'मिडनाइट चिल्ड्रन्स' के जरिये उन्हें खूब शोहरत मिली। इस किताब के लिए उन्हें उस साल बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1988 में उनकी 'द सैटनिक वर्सेज' किताब प्रकाशित हुई थी, जिसका कई मुस्लिम देशों ने भारी विरोध किया था। भारत और ईरान समेत कई देशों में यह प्रतिबंधित हो गई थी।
रुश्दी के खिलाफ जारी किया गया था मौत का फतवा
''द सैटनिक वर्सेज' में पैगंबर मोहम्मद की ईशनिंदा के आरोप में रुश्दी के खिलाफ फतवे जारी किए गए थे। इसके कारण उन्हें कई साल छिपकर रहना पड़ा था। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने भी उनके खिलाफ मौत का फतवा जारी किया था।