प्रधानमंत्री मोदी ने अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का किया उद्धाटन, जानें अहम बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अबू धाबी में बने पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। बंसती पंचमी के शुभ अवसर पर उद्धाटन से पहले मंदिर में वैदिक अनुष्ठान किए गए। इस मंदिर को बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) ने तैयार किया है और इसे आगामी 1 मार्च से आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोला जाएगा। मंदिर के उद्घाटन के अवसर वैश्विक आरती की गई।
अन्य देशों में स्थापित BAPS के मंदिरों के साथ की गई आरती
उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने BAPS समूह के स्वामी ईश्वर चरण दास और अन्य संतों के साथ वैश्विक आरती की। इस मौके पर भारत समेत अन्य कई देशों में स्थित BAPS के मंदिरों में भी आरती की गई। वैश्विक आरती के बाद मोदी ने राधा-कृष्ण की प्रतिमा को पुष्प अर्पित किए और फिर पूरे मंदिर परिसर का बारीकी से अवलोकन किया। अंत में उन्होंने मंदिर निर्माण करने वाली टीम और कर्मचारियों से मुलाकात की।
मोदी ने 2018 में रखी थी मंदिर की आधारशिला
अबू धाबी में बने इस पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में UAE की अपनी दूसरी राजकीय यात्रा के दौरान रखी थी। उन्होंने दुबई ओपेरा हाउस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसकी आधारशिला रखी थी।
पारंपरिक नागर शैली में 700 करोड़ रुपये की लागत से बना है मंदिर
ये मंदिर UAE का दूसरा बड़ा हिंदू मंदिर है। इस नवनिर्मित मंदिर को अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग के किनारे अल रहबा के पास अबू मुरीखा में 27 एकड़ भूमि पर 700 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। मंदिर को भारतीय कारीगरों ने पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है और इसकी ऊंचाई 108 फीट है। इसमें 12 गुंबद, 7 शिखर और 402 स्तंभ हैं और मंदिर की नक्काशी राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थरों से की गई है।
वैदिक वास्तुकला से हुआ है मंदिर का निर्माण
मंदिर का निर्माण वैदिक वास्तुकला से हुआ है और इसके तल में विशाल अभिषेक मंडपम बनाया गया है। इस मंदिर में राम-सीता, लक्ष्मण, हनुमान, शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, राधा-कृष्ण, भगवान वेंकटेश्वर, भगवान अयप्पा और भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा रखी गई हैं। दीवारों पर रामायण और महाभारत की कहानियों की नक्काशी की गई है। स्वामी नारायण मंदिर के भव्य गुंबदों को सद्भाव का गुंबद कहा जा रहा है, जिनपर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष के सामंजस्य का एक अनूठा चित्रण है।
मंदिर परिसर में कई सुविधाएं हैं मौजूद
इस विशाल मंदिर में कई सुविधाएं मौजूद हैं। इसमें करीब 5,000 लोगों के एक साथ प्रार्थना करने के लिए हॉल है। साथ ही एक सामुदायिक केंद्र, एक प्रदर्शनी हॉल, एक पुस्तकालय, एक कैंटीन, बच्चों के लिए पार्क भी बनाया गया है। नवनिर्मित मंदिर की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है और इसमें 100 सेंसर लगाए गए हैं। ये सेंसर भूकंपीय गतिविधि और तापमान में उतार-चढ़ाव और दबाव से जुड़ी जानकारियां देने में सक्षम हैं।