लिपुलेख में सड़क निर्माण पर नेपाल ने जताई आपत्ति, भारत से काम रोकने को कहा
पड़ोसी देश नेपाल ने रविवार को भारत से सड़कों का 'एकतरफा निर्माण और विस्तार' रोकने को कहा है। हालांकि, इसका औपचारिक कूटनितिक विरोध दर्ज नहीं कराया गया है। नेपाल की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी की उस घोषणा के बाद आई है, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के लिपुलेख इलाके में सड़कों का विस्तार करने की बात कही थी। इस इलाके पर नेपाल अपना दावा करता है। मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार लिपुलेख इलाके में सड़कों का चौड़ीकरण करेगी।
नेपाल ने क्या कहा?
नेपाल के सूचना और प्रसारण मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कारकी ने कहा कि लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी आदि इलाके नेपाल के अभिन्न अंग हैं। इसलिए भारत की तरफ से सड़कों का निर्माण और विस्तार रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा भारत और नेपाल के बीच किसी भी तरह के सीमा विवाद को ऐतिहासिक दस्तावेजों, नक्शों और द्विपक्षीय संबंधों की सच्ची भावना दिखाने वाले दस्तावेजों के आधार पर कूटनीतिक माध्यमों से सुलझाया जाना चाहिए।
भारत ने अपने इलाके में बताया है निर्माण
इससे पहले भारत ने कहा था कि सड़कों का निर्माण भारतीय क्षेत्र में हो रहा है। इसके साथ ही प्रस्ताव दिया था कि किसी भी तरह के विवाद को द्विपक्षीय दोस्ती की भावना से बातचीत के जरिये दूर किया जा सकता है। काठमांडू में भारतीय दूतावास ने शनिवार को बताया था कि नेपाल के साथ सीमा पर भारत का रूख जगजाहिर, स्पष्ट और सुसंगत है और इसकी जानकारी नेपाल सरकार को दे दी गई है।
कहां है लिपुलेख?
लिपुलेख दर्रा कालापानी के पास स्थित है, जो देशों के बीच का सीमा क्षेत्र का है। भारत इसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और नेपाल धारचूला जिले के हिस्से के रूप में अपना क्षेत्र मानता है। दोनों ही देश इस क्षेत्र को अपना अभिन्न अंग बताते हैं।
खराब चल रहे हैं दोनों देशों के रिश्ते
भारत और नेपाल के रिश्ते पिछले कुछ समय से खराब चल रहे हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के इस साल होने वाले वाइंब्रेट गुजरात समारोह में शामिल होने की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना के चलते यह कार्यक्रम रद्द हो गया है। इसी बीच उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सड़कों के चौड़ीकरण का ऐलान कर दिया, जिससे नेपाल के राजनीतिक दलों को अपनी सरकार पर दबाव बढ़ाने का मौका मिल गया।
भारत और नेपाल के बीच 1,850 किमी लंबी सीमा
भारत और नेपाल के बीच 1,850 किलोमीटर से भी अधिक लंबी सीमा पर और इस पर कोई बड़ा विवाद नहीं है। करीब 98 प्रतिशत सीमा की पहचान और उसके नक्शे पर दोनों देशों के बीच सहमति बन चुकी है। 2019 में भारत ने नया नक्शा पेश किया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में दिखाया गया था। इसी में कालापानी को भारतीय क्षेत्र में दर्शाया गया, जिस पर पुराना विवाद दोबारा शुरू हो गया था।