मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू दिसंबर में भारत दौरे पर आने चाहते थे- रिपोर्ट
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू नवंबर में शपथ लेने के बाद भारत की यात्रा करना चाहते थे, लेकिन कुछ वजहों से तारीखें तय न हो पाने के कारण ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद मोइज्जू राष्ट्रपति के तौर पर अपनी पहली यात्रा के लिए तुर्की चले गए। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने इंडिया टुडे को ये जानकारी दी है। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, मुइज्जू अब जनवरी के अंत या फरवरी में भारत आ सकते हैं।
भारत की तरफ से तारीख तय होने का इंतजार कर रहा मालदीव
इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से कहा कि नवंबर में राष्ट्रपति मुइज्जू के शपथ लेने से पहले ही मालदीव ने दिसंबर, 2023 में उनकी भारत यात्रा का प्रस्ताव रखा था। सूत्रों के अनुसार, मालदीव सरकार अभी भी भारतीय पक्ष द्वारा तारीखों की पुष्टि करने का इंतजार कर रही है। इस बीच मुइज्जू ने तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और चीन की यात्रा की और मालदीव के राष्ट्रपतियों के पहली यात्रा पर भारत आने की परंपरा टूट गई।
तारीखें तय होने पर भी भारत नहीं होता मुइज्जू का पहला विदेश दौरा
रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत मालदीव के प्रस्ताव पर दिसंबर की तारीखें तय कर देता तो भी ये राष्ट्रपति मुइज्जू की पहली विदेश यात्रा नहीं होती क्योंकि वे 26 नवंबर को ही तुर्की चले गए थे। मालदीव के राष्ट्रपति चीन के दौरे पर चले गए, जिससे भारत दौरे की संभावना और कम हो गई। मामले की जानकारी रखने वाले शख्स ने कहा, "जब 2 देशों के बीच रिश्ते काफी खराब हो, तब दौरे इस तरह तुरंत निर्धारित नहीं किये जाते।"
मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से बढ़ रहा दोनों देशों में तनाव
मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है और वे 'इंडिया आउट' के नारे के साथ सत्ता में आए थे। पद संभालते हुए उन्होंने भारत को मालदीव से अपने सैनिकों को हटाने को कह दिया, जो वहां सुरक्षा के लिए तैनात थे। इसके बाद हाल ही में मालदीव के मंत्रियों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के खिलाफ टिप्पणियां करने से तनाव और बढ़ गया। इन टिप्पणियों के बाद हजारों भारतीयों ने मालदीव के बहिष्कार का ऐलान किया।
मुइज्जू ने चीन से लगाई मदद की गुहार
भारत से बढ़ते विवाद के बीच राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन से गुहार लगाई है कि वह ज्यादा से ज्यादा पर्यटक मालदीव भेजे। चीन में एक बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने चीन को निकटतम सहयोगी बताया और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजनाओं की तारीफ की। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, "कोरोना वायरस से पहले चीन हमारा (मालदीव का) नंबर एक बाजार था और हमारा प्रयास है कि वह फिर से उस स्थिति को हासिल करे।"