LOADING...
#NewsBytesExplainer: क्या है अब्राहम समझौता, जिसमें शामिल होगा कजाकिस्तान? 
कजाकिस्तान ने अब्राहम समझौते में शामिल होने का ऐलान किया है (फाइल तस्वीर)

#NewsBytesExplainer: क्या है अब्राहम समझौता, जिसमें शामिल होगा कजाकिस्तान? 

लेखन आबिद खान
Nov 07, 2025
05:55 pm

क्या है खबर?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि कजाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य एशिया का मुस्लिम बहुल देश कजाकिस्तान ऐसा पहला देश होगा, जो उनके दूसरे कार्यकाल में इस समझौते का हिस्सा बनेगा। ट्रंप ने ये भी दावा किया कि इस समझौते से जुड़ने के लिए कुछ और मुस्लिम देश भी लाइन में हैं। आइए आज अब्राहम समझौते के बारे में जानते हैं।

समझौता

क्या है अब्राहम समझौता?

अब्राहम समझौता ट्रंप के पहले कार्यकाल में 2020 में शुरू हुआ था। यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म में खास अहमियत रखने वाले पैगंबर अब्राहम के नाम पर इस समझौते का नाम रखा गया है। विचार था कि पैगंबर अब्राहम को मानने वाले तीनों धर्म साथ आ सकेंगे। इस समझौते का उद्देश्य अरब देशों और इजरायल के बीच संबंधों को सामान्य करना है। ट्रंप इसे अपनी विदेश नीति की अहम सफलता मानते हैं।

देश

समझौते में कौन-कौनसे देश शामिल?

समझौते के तहत सबसे पहले संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और बहरीन ने इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। इसके तुरंत बाद मोरक्को ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। सूडान ने भी इस समझौते पर सहमति जताई थी, लेकिन 2024 तक उसने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए। रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन सऊदी अरब, लेबनान और सीरिया से भी समझौते में शामिल होने को लेकर बातचीत कर रहा है।

कदम

समझौते का क्या है उद्देश्य?

दरअसल, फिलिस्तीन विवाद और बाकी कुछ विवादों के चलते इजरायल और अरब देशों के संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं। इस समझौते ने अरब देशों और इजरायल के बीच खुलकर संबंध स्थापित करने का रास्ता खोला है। समझौते में शामिल देश इजरायल में दूतावास खोलने, व्यापार करने, सैन्य और तकनीकी साझेदारी और पर्यटन बढ़ाने पर सहमति देते हैं। ट्रंप इसे मध्य-पूर्व में शांति और स्थिरता बढ़ाने की अपनी महत्वाकांक्षी पहल के तौर पर देखते हैं।

गाजा युद्ध

हमास-इजरायल युद्ध से समझौते को लगा झटका

2020 में शुरू हुआ ये समझौता तेजी से आगे बढ़ रहा था। कई मुस्लिम देशों ने समझौते में शामिल होने पर लगभग सहमति दे दी थी, लेकिन अक्टूबर, 2023 में शुरू हुए हमास-इजरायल युद्ध के बाद इन देशों ने कदम वापस खींच लिए। समझौते में शामिल होने वाले संभावित नामों में सऊदी अरब सबसे आगे था, लेकिन गाजा युद्ध के बाद जनभावनाएं इजरायल के खिलाफ है। ऐसा ही कुछ अन्य मुस्लिम देशों के साथ भी है।

कजाकिस्तान

कजाकिस्तान के शामिल होने से क्या असर होगा?

कजाकिस्तान के पहले से ही इजरायल के साथ संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच 1992 से कूटनीतिक संबंध जारी हैं। ऐसे में कजाकिस्तान का अब्राहम समझौते में शामिल होना महज एक औपचारिकता है। हालांकि, ट्रंप का मानना है कि कजाकिस्तान के इस कदम से अब्राहम समझौता एक बार फिर रफ्तार पकड़ेगा और दूसरे देश भी दोबारा विचार करेंगे। ये समझौता ऐसे वक्त हुआ है, जब इसी महीने सऊदी क्राउन प्रिंस और सीरियाई राष्ट्रपति अमेरिका का दौरा करेंगे।

वजह

कजाकिस्तान क्यों हुआ समझौते में शामिल?

कजाकिस्तान के राष्ट्रपति टोकायेव का कहना है कि समझौते से इजरायल के साथ व्यापार और सहयोग बढ़ेगा। कजाकिस्तान के पास यूरेनियम और दुर्लभ खनिजों के भंडार हैं। हाल ही में उसने अमेरिका के साथ खनिजों को लेकर एक समझौता भी किया है। इस कदम को कजाकिस्तान की अमेरिका से बढ़ती नजदीकी के तौर पर देखा जा रहा है। उसे अमेरिका से आर्थिक मदद और इजरायल से कृषि और साइबर टेक्नोलॉजी में सहयोग की उम्मीद है।