पाकिस्तान पर IMF ने थोंपी 11 नई शर्तें, अधिकारियों की संपत्ति करनी होगी सार्वजनिक
क्या है खबर?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पहले से ही नगदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। IMF ने अपने 63,000 करोड़ रुपये के पैकेज को लेकर पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाई हैं। ये शर्तें पाकिस्तान के शासन ढांचे की पुरानी खामियों, व्यापक भ्रष्टाचार जोखिमों और घाटे वाले क्षेत्रों में सुधार से जुड़ी हैं। IMF ने पिछले 18 महीनों में पाकिस्तान पर कुल 64 शर्तें लगाई हैं।
शर्तें
पाकिस्तान को अधिकारियों की संपत्ति सार्वजनिक करनी होगी
IMF की सबसे अहम शर्तों में है कि दिसंबर, 2026 तक सभी उच्च स्तरीय केंद्रीय सिविल सेवकों (ग्रेड-19 और ऊपर) की संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। IMF का कहना है कि इससे अज्ञात संपत्ति की पहचान करना और घोषित आय और वास्तविक संपत्ति के बीच के अंतर का पता लगाना आसान होगा। सरकार ने प्रांतीय स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों पर भी यह नियम लागू करने की इच्छा जताई है, जिसकी जानकारी बैंकों को भी दी जाएगी।
सीमा पार भुगतान
सीमा पार लेन-देन को लेकर लगी ये शर्त
IMF ने पाकिस्तान को मई, 2026 तक विदेशी रेमिटेंस भेजने की लागत और बाधाओं की समीक्षा पूरी करने को कहा है। साथ ही सितंबर, 2026 तक स्थानीय मुद्रा बॉन्ड मार्केट के विकास में बाधाओं की जांच कर सुधारों की रणनीतिक योजना बतानी होगी। जून, 2026 तक केंद्र और प्रांतीय सरकारों को राष्ट्रीय चीनी बाजार उदारीकरण नीति पर सहमति बनानी होगी। इसमें लाइसेंसिंग नियम, मूल्य नियंत्रण, आयात-निर्यात अनुमति, और कार्यान्वयन की समय-सीमा शामिल होगी।
मिनी बजट
राजस्व लक्ष्य से चूके तो लाना होगा मिनी बजट
IMF ने कहा कि अगर दिसंबर के अंत तक राजस्व लक्ष्य से चूक हुई तो सरकार को मिनी बजट लाना होगा। इसमें उर्वरक और कीटनाशकों पर एक्साइज ड्यूटी 5 प्रतिशत बढ़ाना, उच्च चीनी वाले उत्पादों पर नई एक्साइज ड्यूटी लगाना और कई वस्तुओं को सेल्स टैक्स दर में लाना शामिल होगा। हालांकि, IMF ने शासन और भ्रष्टाचार निदान रिपोर्ट में पाई गई कमियों को दूर करने की कार्ययोजना प्रकाशित करने की समय-सीमा बढ़ा दी है।
भ्रष्टाचार
IMF ने ये शर्तें भी लगाईं
पाकिस्तान को अक्टूबर, 2026 तक उच्च जोखिम वाले 10 विभागों में भ्रष्टाचार के खतरों से निपटने के लिए एक समयबद्ध कार्य योजना भी पेश करनी होगी। राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (NAB) सबसे संवेदनशील एजेंसियों में इस कार्यान्वयन का समन्वय करेगा। साथ ही प्रांतीय भ्रष्टाचार-रोधी संस्थाओं को वित्तीय खुफिया जानकारी प्राप्त करने और वित्तीय अपराधों की जांच क्षमता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा टैक्स सुधारों को आगे बढ़ाने जैसी कई और शर्तें भी शामिल हैं।