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मिस्र में खुला दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय, ऐतिहासिक तूतनखामेन की कब्र समेत क्या है खास?
मिस्र में दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय आम लोगों के लिए खुल गया है

मिस्र में खुला दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय, ऐतिहासिक तूतनखामेन की कब्र समेत क्या है खास?

लेखन आबिद खान
Nov 02, 2025
01:46 pm

क्या है खबर?

मिस्र में गीजा के पिरामिडों के पास दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम (GEM) आम लोगों के लिए खुल चुका है। 2 दशक तक चले निर्माण कार्य के बाद शनिवार को मिस्र के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राजपरिवार के सदस्यों की मौजूदगी में इस संग्रहालय का उद्घाटन किया गया। मिस्र के राष्ट्रपति ने संग्रहालय के उद्घाटन को 'मानव संस्कृति और सभ्यता के इतिहास में एक असाधारण घटना' बताया है। आइए संग्रहालय के बारे में जानते हैं।

संग्रहालय

कितना बड़ा है संग्रहालय?

यह संग्रहालय काहिरा में गीजा पिरामिड के पास है और करीब 120 एकड़ में फैला है। ये फ्रांस के लूव्र संग्रहालय से लगभग दोगुना बड़ा और वेटिकन सिटी के बराबर है। इस संग्रहालय को बनाने की घोषणा 2002 में की गई थी। तब काम 2012 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन बढ़ती लागत, राजनीतिक अस्थिरता और कोविड महामारी की वजह से इसमे देरी हो गई। इसे बनाने में 1.2 अरब डॉलर की लागत आई है।

तूतनखामेन

तूतनखामेन से जुड़ी कई चीजें पहली बार दुनिया देखेगी

संग्रहालय की सबसे बड़ी खासियत मिस्र के राजा रहे तूतनखामेन की कब्र है, जिसकी खोज 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविद हावर्ड कार्टर ने की थी। संग्रहालय में उनकी कब्र से निकला सोने का मुखौटा, सिंहासन और उनके साथ दफन किए गए 5,000 से ज्यादा खजाने रखे गए हैं। इनमें से कई चीजें ऐसी हैं, जो पहली बार दुनिया के सामने आ रही हैं। इसके अलावा कई चीजें दुनियाभर में फैली हुई थीं, जिन्हें एक जगह लाया गया है।

खासियत

संग्रहालय में और क्या-क्या है खास?

संग्रहालय के मुख्य हॉल में घुसते ही रामेसेस द ग्रेट की 3,200 साल पुरानी 83 टन वजनी मूर्ति आगंतुकों का स्वागत करती है। ये मूर्ति 51 साल तक काहिरा रेलवे स्टेशन के सामने लगी थी। संग्रहालय में लाने से पहले इसे जुलूस की शक्ल में शहर में घुमाया गया। इसके अलावा 50,000 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं, जिनमें 4,600 साल पुरानी खुफू की नाव शामिल है। ये दुनिया की सबसे पुरानी और सुरक्षित नाव मानी जाती है।

डिजाइन

संग्रहालय को 'मिस्र का चौथा पिरामिड' कहा जा रहा 

संग्रहालय की डिजाइन पिरामिड के आकार की है। इसी वजह से इसे काहिरा में स्थित खुफू, खफरे और मेनकौर के बाद चौथा पिरामिड भी कहा जा रहा है। त्रिकोणीय कांच के आकार में बने इस पिरामिड की डिजाइन आयरिश फर्म हेनेघन पेंग आर्किटेक्ट्स ने की है। इसे विशाल 6 मंजिला सीढ़ी के चारों ओर बनाया गया है, जहां से पास के पिरामिड भी दिखते हैं। संग्रहालय में 12 मुख्य दीर्घाएं हैं, जो 5,000 सालों के इतिहास को समेटे हुए है।

वजह

मिस्र ने क्यों बनाया इतना विशाल संग्रहालय?

मिस्र के लिए ये संग्रहालय उसके ऐतिहासिक खजानों की प्रदर्शनी के साथ-साथ सांस्कृतिक ताकत और अपनी धरोहर को वापस पाने का संदेश भी है। मिस्र को उम्मीद है कि ये संग्रहालय सालाना 80 लाख पर्यटकों को आकर्षित करेगा। मिस्र की अर्थव्यवस्था चुनौतियों से जूझ रही है, जिसे संभालने में पर्यटन अहम है। 2024 में मिस्र में 1.50 करो़ड़ पर्यटक आए थे। पर्यटन की देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 8 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।

पर्यावरण

संग्रहालय को बनाने में पर्यावरण मानकों का भी ध्यान

संग्रहालय की इमारत को पर्यावरण के लिहाज से भी अनुकूल बनाया गया है। इसमें पेसिव कूलिंग, सौर ऊर्जा, प्राकृतिक रोशनी समेत कई उपाय किए गए हैं। मिस्र का कहना है कि इसी आकार की पारंपरिक इमारतों की तुलना में संग्रहालय की इमारत 60 प्रतिशत कम ऊर्जा और 34 प्रतिशत कम पानी की खपत करेगी। 2024 में इसे टिकाऊ भवन डिजाइन और निर्माण के लिए एडवांस्ड ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन भी मिला था।

आलोचना

संग्रहालय की हो रही है आलोचना

संग्रहालय की सबसे बड़ी आलोचना इसके खर्च को लेकर हो रही है। इसे बनाने के लिए जापान की एक एजेंसी से कर्ज लिया गया है। आलोचकों का कहना है कि क्या इतनी भारी-भरकम राशि का उपयोग सही काम के लिए किया जा रहा है, क्योंकि देश गंभीर सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। अन्य आलोचक संग्रहालय को केंद्रीकृत पर्यटन रणनीति का हिस्सा बताते हुए मानते हैं कि इससे मिस्र के अन्य क्षेत्रों को नुकसान होगा।