चीन ने भूटान के क्षेत्र में घुसपैठ कर निर्माण किया, भारत की चिंता बढ़ी- रिपोर्ट
क्या है खबर?
सीमाएं तय करने को लेकर बातचीत के बीच ही चीन ने भूटान की सुदूर जकरलुंग घाटी में अपनी अवैध निर्माण गतिविधियों को बढ़ा दिया है।
इस निर्माण से जुड़ी कुछ सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें चीन की अवैध निर्माण गतिविधियां स्पष्ट दिखाई दे रही हैं।
इसको लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा लगता है कि भूटान के पास चीनी प्रस्ताव को मानने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया है।
उपस्थिति
चीन ने किस इलाके में बढ़ाई अपनी उपस्थिति?
सुदूर जकरलुंग घाटी बेयुल खेनपाजोंग क्षेत्र का हिस्सा है, जो भूटानी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्र है।
NDTV के अनुसार, मैक्सार सैटेलाइट की की तस्वीरें दिखाती हैं कि कैसे चीन ने 2 वर्षों में जकरलुंग घाटी में अपनी भौतिक उपस्थिति बढ़ा दी है।
चीन ने हाल ही में इस इलाके पर अपना दावा ठोका है और वह यह भी जानता है कि भूटान के पास प्रतिक्रिया के रूप में बेहद कम विकल्प हैं।
निर्माण
जकरलुंग घाटी में क्या-क्या निर्माण दिख रहा?
रिपोर्ट के अनुसार, 7 दिसंबर की सैटेलाइट तस्वीरों में देखें तो चीन द्वारा जकरलुंग घाटी में कम से कम 129 इमारतें बनाई जा रही हैं। यह एक रिहायशी आवास लगते हैं और इनसे कुछ ही दूरी पर एक दूसरी बस्ती में कम से कम 62 इमारतें दिखाई दे रही हैं।
इसी क्षेत्र की अगस्त, 2021 की पुरानी तस्वीरों को देखें तो पता चलता है कि तब इनमें से किसी भी इमारत का निर्माण नहीं किया गया था।
कब्जा
भूटान के इलाकों पर चीन एकतरफा कब्जा जमा रहा- विशेषज्ञ
NDTV के अनुसार, लंदन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) में तिब्बत विशेषज्ञ प्रोफेसर रॉबर्ट बार्नेट ने कहा, "यह चीन द्वारा चरवाहों द्वारा चराई की पूर्व प्रथाओं के आधार पर दावे का मामला है। फिर एकतरफा इलाके पर कब्जा जमा लिया और इलाके में गांव, सैन्य बैरक और चौकियां बना लीं।"
कब्जे के बाद भूटान पर पूर्वी सीमा से 50 किलोमीटर दूर स्थित इलाके में चीनी शर्तों को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
जमीन
जमीन के टुकड़े की अदला-बदली की कितनी संभावना?
भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने हाल ही में द हिन्दू से बातचीत में चीन और भूटान द्वारा जमीन के टुकड़ों की अदला-बदली की संभावनाओं को खारिज नहीं किया था।
इसके तहत चीन दक्षिण में स्थित डोकलाम पर अपना दावा छोड़ता है तो जकरलुंग समेत कई इलाकों में जमीन की अदला-बदली हो सकती है।
हालांकि, शेरिंग ने कहा, "यह भूटान के हित में होगा कि सीमा वार्ता में दोनों पक्ष (भारत और चीन) उनके निर्णयों से खुश हो।"
चिंता
चीन की हरकतों से क्यों बढ़ी भारत की चिंता?
रॉबर्ट बार्नेट का मानना है कि जिस तरह से सीमा विवादों को लेकर की गई संधियों का उल्लंघन करने की चीन की मंशा सामने आई है, उससे भारत चिंतित हो सकता है।
उन्होंने कहा, "चीन ने विवादित क्षेत्रों में यथास्थिति में बदलाव न करने के लिए 1998 में भूटान के साथ एक औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर किया था, लेकिन जकरलुंग पर कब्जा कर और उसे बसाने में चीन ने समझौते का उल्लंघन किया है।"
सिलिगुड़ी गलियारे
सिलिगुड़ी गलियारे के पास पहुंच रहा चीन
चीन भारत के सिलिगुड़ी गलियारे के करीब भी अपने निर्माण कार्य बढ़ा रहा है, जिसको लेकर केंद्र सरकार को भारतीय सेना ने कई बार चेताया है।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर वह संकरा गलियारा है, जो भारत के पूर्वोत्तर हिस्सों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
इस इलाके में धीरे-धीरे निर्माण करना चीन की क्षेत्रीय विस्तार योजनाओं की मानक रणनीति रही है, जिसे भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने 'सलामी-स्लाइसिंग' नाम दिया था।