UN में कब्जा करने की कोशिश कर रहा चीन, रिश्वत देकर छिपा रहा अपनी करतूतें- रिपोर्ट
चीन अपनी विस्तारवादी गतिविधियों से बाज नहीं आ रहा है। अब चीन संयुक्त राष्ट्र (UN) में प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। UN की व्हिसलब्लोअर और मशहूर वकील ऐमा रीली ने चीन को लेकर कई खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने कई बार संवेदनशील विषयों पर चर्चा को रोकने के लिए वोटों को प्रभावित किया और 2 बार महासभा के अध्यक्षों को रिश्वत देने की कोशिश भी की।
चीन UN की एजेंसियों पर लगाता है शर्त
मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की पूर्व कर्मचारी रीली ने अपनी लिखित रिपोर्ट में कहा कि OHCHR चीन का पक्ष ले रहा है, जो कि खतरनाक है। रीली ने आरोप लगाया गया है कि संयुक्त राष्ट्र चीन की तरफदारी कर रहा है और इसको छिपाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन UN एजेंसियों पर शर्त भी लगाता है, जिनमें एक शर्त ये थी कि ताइवान के साथ राजनयिक संबंधों वाले देशों पर धनराशि खर्च नहीं की जाएगी।
चीन पर रिपोर्ट्स से छेड़छाड़ के भी आरोप
रीली ने दावा किया कि चीन ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति से लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की रिपोर्ट के साथ भी छेड़छाड़ की। इसके अलावा चीन में उइगर मुसलमानों के साथ अत्याचार से जुड़ी OHCHR की रिपोर्ट में भी चीनी सरकार द्वारा हस्तक्षेप किया गया। UN के कुछ कर्मचारी गुप्त तरीके से चीन को उन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के नाम बता रहे थे, जिन्होंने इस तरह ये रिपोर्ट बनाई थी।
चीन ने प्रतिनिधियों के परिवारों को धमकाया
रीली का कहना है कि जब चीन को संयुक्त राष्ट्र सचिवालय द्वारा गैर-सरकारी संगठन (NGO) के प्रतिनिधियों के नाम प्रदान किए गए थे, तब चीनी पुलिस ने प्रतिनिधियों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी। इन प्रतिनिधियों को फोन करके काम बंद करने को कहा गया, मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया, घर में नजरबंद रखा गया, हिरासत में लिया गया, बिना किसी वजह के सजा सुनाई गई, यातना दी गई या एकाग्रता शिविरों में डाल दिया गया।
हिरासत में हुई कई की मौत
रीली ने रिपोर्ट में कहा, "कुछ मामलों में प्रतिनिधियों के परिवार के सदस्यों की हिरासत में मृत्यु हो गई। कम से कम एक मामले में चीन की सूची में नामित एक व्यक्ति की हिरासत में ही मृत्यु हो गई। एक मामले में चीनी सरकार ने एक NGO प्रतिनिधि के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस भी जारी किया था।" रिपोर्ट में राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (FCDO) के हवाले से रूस और ईरान पर भी कई खुलासे किए गए हैं।