अमेरिका के 20 राज्यों ने H-1B वीजा शुल्क को लेकर ट्रंप प्रशासन पर दायर किया मुकदमा
क्या है खबर?
अमेरिका के 20 राज्यों ने ट्रंप प्रशासन के नए H-1B वीजा आवेदनों पर 1 लाख डॉलर (करीब 90 लाख रुपये) का शुल्क लगाने के फैसले को चुनौती देते हुए मुकदमा दायर किया है। जिसमें तर्क दिया गया है कि यह नीति गैरकानूनी है और आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं के लिए खतरा है। इस मामले की अगुवाई करने वाले कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के पास अतिरिक्त वीजा शुल्क लगाने का अधिकार नहीं था।
चुनौती
मुकदमे में गृह सुरक्षा विभाग को दी गई चुनौती
यह मुकदमा गृह सुरक्षा विभाग द्वारा लागू की गई एक नीति को लक्षित करता है, जो H-1B वीजा कार्यक्रम के तहत उच्च कुशल विदेशी श्रमिकों को काम पर रखने की कोशिश करने वाले नियोक्ताओं के लिए लागत में भारी वृद्धि करती है, जिसका व्यापक रूप से अस्पतालों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक स्कूलों द्वारा उपयोग किया जाता है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर, 2025 को जारी एक घोषणा के माध्यम से इस बढ़े हुए शुल्क का आदेश दिया था।
बयान
बोंटा ने मामले पर क्या दिया बयान?
बोंटा ने कहा, "दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में कैलिफोर्निया जानता है कि जब दुनिया भर से कुशल प्रतिभाएं हमारे कार्यबल में शामिल होती हैं, तो यह हमारे राज्य को आगे बढ़ाती है।" उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा निर्धारित अवैध वीजा शुल्क कैलिफोर्निया के सार्वजनिक नियोक्ताओं और अन्य महत्वपूर्ण सेवा प्रदाताओं पर अनावश्यक और अवैध वित्तीय बोझ डालता है, जिससे प्रमुख क्षेत्रों में श्रम की कमी और बढ़ जाती है।"
राज्य
मुकदमे में कौन-कौन-से राज्य शामिल?
यह मुकदमा बोंटा और मैसाचुसेट्स की अटॉर्नी जनरल एंड्रिया जॉय कैंपबेल द्वारा दायर किया गया था, जिसमें एरिजोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनोइस, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट, वाशिंगटन और विस्कॉन्सिन के अटॉर्नी जनरल भी शामिल हुए थे। बता दें कि H-1B वीजा कार्यक्रम कुशल विदेशी कामगारों के लिए एक प्रमुख मार्ग है, जिसमें प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा और अकादमिक अनुसंधान में कार्यरत बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवर शामिल हैं।
तर्क
राज्यों ने क्या दिया तर्क?
राज्यों का तर्क है कि यह नीति प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम और अमेरिकी संविधान का उल्लंघन करती है क्योंकि यह आवश्यक नियम बनाने की प्रक्रिया को दरकिनार करती है और संसदीय अधिकार क्षेत्र से बाहर जाती है। उनका कहना है कि H-1B वीजा कार्यक्रम से जुड़े शुल्क ऐतिहासिक रूप से प्रणाली के संचालन की लागत तक ही सीमित रहे हैं। उनका मानना है कि नया शुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में कर्मचारियों की कमी बढ़ा देगा।