दुनिया में हर 10वां इंसान भूखे पेट सोने पर विवश, और बिगड़ेगी स्थिति- UN खाद्य एजेंसी
क्या है खबर?
दुनिया में हर 10वां इंसान खाने की कमी से जूझ रहा है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की खाद्य एजेंसी विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की प्रमुख ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि वैश्विक भूख संकट के कारण 70 करोड़ से अधिक लोगों को यह नहीं पता कि उन्हें खाना मिलेगा भी या नहीं और वे भूखे पेट सोने को विवश हैं।
उन्होंने कहा कि दुनियाभर में भोजन की मांग बढ़ रही है, जबकि धन कम हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र
धन की कमी के कारण WFP राशन में कटौती के लिए विवश
WFP की कार्यकारी निदेशक सिंडी मैक्केन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को बताया कि धन की कमी के कारण एजेंसी लाखों लोगों को मिलने वाले राशन में कटौती करने के लिए विवश है और आगे चलकर इसमें और कटौती की जायेगी।
मैक्केन ने कहा, "अब हम ऐसे समय में हैं, जहां इस तरह के संकट की समस्या और बढ़ने वाली है, लेकिन हम वैश्विक मानवीय जरूरतों को पूरा करने का काम जारी रखेंगे।"
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4.5 करोड़ बच्चे तीव्र कुपोषण से पीड़ित
मैक्केन ने कहा, "ये मानवतावादी समुदाय की नई वास्तविकता है। ये हमारा नया सामान्य है और हम आने वाले वर्षों में इसके परिणामों से निपटेंगे।"
उन्होंने कहा कि एजेंसी का अनुमान है कि 50 से अधिक देशों में लगभग 4.7 करोड़ लोग अकाल से सिर्फ एक कदम दूर हैं।
यही नहीं, WFP के अनुमानों के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के 4.5 करोड़ बच्चे अब तीव्र कुपोषण से पीड़ित हैं और हर 10वां व्यक्ति भूखा सोने को मजबूर है।
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WFP ने बताया क्यों हो रही खाने की कमी
WFP ने कहा कि इस वर्ष 34.5 करोड़ से अधिक लोग बड़े स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। यह आंकड़ा 2021 की तुलना में 20 करोड़ अधिक है।
एजेंसी के अनुसार, इस समस्या का मूल कारण आर्थिक झटके, जलवायु परिवर्तन और उर्वरक की बढ़ती कीमतों का घातक संयोजन है
कोरोना वायरस महामारी और यूक्रेन युद्ध से भी दुनियाभर में खाद्य सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि हुई है।
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मैक्केन ने निजी सेक्टर को मदद के लिए आगे आने को कहा
उर्वरक की कीमतों में आए उछाल से सोयाबीन, चावल और गेहूं जैसी फसलों के उत्पादन में कमी आई है। इससे भी खाद्य संकट गहराया है।
मैक्केन ने परिषद की बैठक में शामिल व्यापारियों से मानव हित के लिए सार्वजनिक और निजी साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही।
उन्होंने कहा, "हमारी सामूहिक चुनौती महत्वाकांक्षी, बहु-क्षेत्रीय साझेदारियों को बढ़ाना है, जो हमें भूख और गरीबी से प्रभावी ढंग से निपटने और दीर्घकालिक मानवीय जरूरतों को कम करने में सक्षम बनाएंगी।"
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UN की रिपोर्ट में भी हालात चिंताजनक
पिछले महीने UN ने भी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि 2022 में दुनिया के करीब 73 करोड़ लोग रोजाना बिना कुछ खाए सोने को विवश थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में करीब 8 प्रतिशत लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिला था और 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 9.2 प्रतिशत पर पहुंच गया।
भारत की बात करें तो 2022 में वैश्विक भुखमरी सूचकांक में वह 121 देशों में से 107वें स्थान पर है।