इस कैफे पर मिल रहे 'भांग के बर्गर-सैंडविच', वो भी कानूनी दायरे में रहकर
क्या आपने कभी 'भांग का सैंडविच' खाया है? अगर नहीं, तो पुणे के 'द हेम्प कैफे' में यह सैंडविच सर्व किया जा रहा है। और सबसे जरुरी बात, यह कानूनी दायरे में रहकर चलाया जाने वाला कैफे है। यह कैफे न सिर्फ भांग का सैंडविच बल्कि भांग से बनी कॉफी और अन्य भांग के व्यंजनों को भी सर्व करता है। आइए जानते हैं इस कैफे के बारे में।
चार वर्षों से चल रहा है यह कैफे
अमृता शिटोले ने 30 साल की उम्र में पुणे में 'द हेम्प कैफे' शुरू किया था और वह पिछले चार वर्षों से अपने इस कैफे में भांग से बनी खान-पान की चीजों को बेच रही हैं। अमृता का दावा है कि भांग औषधीय गुणों से समृद्ध है, इसलिए सही मात्रा में इसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। वैसे भी काफी समय पहले से ही कई आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के लिए भांग का इस्तेमाल किया जा रहा है।
कई औषधीय गुणों से समृद्ध होता है भांग का पौधा- अमृता
न्यूज18 के मुताबिक, अमृता ने कहा, "भांग से अविश्वसनीय स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं और अपने व्यक्तिगत अनुभव से मैंने इसके लाभों को महसूस किया है।" उन्होंने आगे बताया, "हम व्यंजनों को बनाने के लिए भांग के बीज का उपयोग करते हैं, न कि पत्तियों का। हम में से ज्यादातर लोगों को भांग से जुड़ी गलतफहमियां हैं। कई लोग अक्सर इसे मारिजुआना कहते हैं, जो एक मादक पदार्थ है। हालांकि, मारिजुआना और भांग में टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (THC) की मात्रा अलग-अलग होती है।"
क्या हैं भांग के बीज और THC?
भांग के बीजों को हेम्प कहा जाता है। इनमें THC की मात्रा बहुत कम होती है और इसका कोई मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी नहीं पड़ता। THC मारिजुआना या भांग में पाया जाने वाला वह पदार्थ है, जिसकी वजह से लोग 'हाई' होते हैं।
कानूनी दायरे में रहकर किया जाता है भांग का इस्तेमाल
कानूनी रूप से दवाइयों या खाने के उत्पादों में इस्तेमाल होने वाली भांग में 0.3 प्रतिशत THC या उससे कम होना चाहिए। महाराष्ट्र में भांग की खेती वैध नहीं है, लेकिन उत्तराखंड ने कुछ साल पहले औद्योगिक इस्तेमाल के लिए इसे वैध कर दिया था। अमृता और उनके साथी उत्तराखंड से ही भांग लाते हैं और उससे उत्पाद बनाते हैं। इनके कैफे में आपको भांग के सैंडविच, बर्गर और कॉफी समेत कई अन्य चीजें मिल जाएंगी।
भांग की बदौलत अवसाद से छुटकारा मिला- अमृता
अमृता ने बताया कि वह कुछ साल पहले वह अवसाद की रोगी थी और उससे राहत पाने वाली दवाएं खाती थी। जब उन्होंने उत्तराखंड की यात्रा के दौरान भांग के औषधीय इस्तेमाल को महसूस किया, तब उन्हें कैफे खोलने का विचार बनाया। अमृता के अनुसार, उन्होंने यह कैफे भांग से जुड़ी गलत धारणाओं को दूर करने के लिए शुरू किया था। बता दें, इस कैफे में छोटा संग्रहालय है, जहां आपको भांग के बारे में सभी तथ्यात्मक जानकारी मिल जाएगी।
महाराष्ट्र में भांग की खेती को वैध बनाना चाहती है अमृता
अब अमृता महाराष्ट्र में भांग की खेती को वैध बनाने के लिए याचिका दायर करने की प्रक्रिया में जुटी हैं। उनका मानना है कि भांग का पौधा संजीवनी है और कम पानी में विकसित होने के बावजूद मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाता है।