
दुबई में प्रदर्शित की जाएगी शाहजहां की तलवार और अन्य इस्लामी हथियार, जल्द होंगे नीलाम
क्या है खबर?
एक समय था जब भारत पर मुगल राज किया करते थे। इसी दौरान शाहजहां नाम के एक बादशाह हुए, जिन्होनें ताज महल का निर्माण करवाया था।
वह तो अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी एक नायाब वस्तु आज भी दुबई में मौजूद है। जी हां, दुबई में शाहजहां की एक तलवार को प्रदर्शित किया जाएगा, जो जल्द ही नीलामी के लिए उपलब्ध होगी।
इस तलवार के साथ-साथ कई अन्य इस्लामी हथियार भी प्रदर्शित किए जाने वाले हैं।
प्रदर्शनी
कौन करवा रहा है इन हथियारों की नीलामी?
इस्लामी हथियारों और शस्त्रागार के इस दुर्लभ निजी संग्रह की प्रदर्शनी सोथबी नामक नीलामीघर द्वारा आयोजित करवाई जा रही है।
आधिकारिक घोषणा में कहा गया है कि इन हथियारों की नीलामी 29 अप्रैल को लंदन में होगी। उससे पहले 7 से 11 अप्रैल के बीच लोग इस संग्रह के कुछ हथियार देखने जा सकते हैं।
इस संग्रह में 100 से ज्यादा वस्तुएं मौजूद हैं, जिन्हें दिवंगत विद्वान फिलिप गिल्स रेने मिस्सिलियर ने जमा किया था।
संग्रह
तलवारों से लेकर कवच तक, संग्रह में शामिल हैं ये वस्तुएं
मिस्सिलियर ने 50 सालों के अंतराल में इस संग्रह को तैयार किया था, जिसमें 500 साल पुराने इस्लामी हथियार भी शामिल हैं।
यह संग्रह इंडोनेशिया से लेकर स्पेन तक, कई इस्लामी राजवंशों की परंपराओं को व्यक्त करता है। मिस्सिलियर ने हर एक हथियार को उसके इतिहास और महत्त्व के आधार पर चुना था।
इस संग्रह में इस्लामी सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए गए कवच, तलवारें, खंजर और हेलमेट आदि भी शामिल हैं।
शाहजहां
नीलामी का मुख्य आकर्षण रहेगी शाहजहां की तलवार
इस प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण शाहजहां की तलवार ही है, जिन्होनें 1629 से 1658 तक शासन किया था। इस्लाम धर्म में बादशाहों की तलवारों को नाम दिया जाता था और इस तलवार पर 'विश्व पर कब्जा करने वाला' लिखा हुआ है।
उनकी सैन्य कुशलता को देखते हुए ही इस तलवार को यह नाम दिया गया होगा।
सोथबी का अनुमान है कि इस नायाब हथियार की कीमत 6.63 करोड़ रुपये से लेकर 8.84 करोड़ रुपये के बीच लग सकती है।
अन्य हथियार
संग्रह में शामिल हैं ये अन्य हथियार
इस संग्रह में मुगल काल का एक खंजर शामिल है, जो 18वीं सदी का है। इस खंजर पर घोड़े के आकार वाली नक्काशी की गई है, जो उस वक्त के कलात्मक कौशल को दर्शाती है।
सोथबी का अनुमान है कि यह खंजर 55 लाख से 77 लाख रुपये के बीच बिक सकता है।
इस संग्रह में ओटोमन साम्राज्य की 17वीं शताब्दी की एक दुर्लभ ढाल भी शामिल है, जिसकी कीमत 66 लाख से 88 लाख रुपये तक जा सकती है।