चीन में निभाई जाती है अजीबोगरीब परंपरा, गर्भवती पत्नी को उठाकर अंगारों पर चलता है पति
कई देशों में लोग ऐसे रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, जिनके बारे में जानकर हैरानी होती है। कहीं पर अच्छी बारिश के लिए अनोखी परंपराएं निभाई जाती हैं, तो कहीं पर माता-पिता बनने वाले जोड़ियों को लेकर भी अजीबोगरीब परंपराएं हैं। इसी तरह चीन में ऐसी ही एक हैरान कर देने वाली परंपरा का पालन किया जाता है, जिसमें पति अपनी गर्भवती पत्नी को उठाकर जलते अंगारों पर चलते हैं। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्यों मनाई जाती है यह परंपरा?
चीनी संस्कृति में माता और पिता बनने वाले जोड़ियों के लिए एक अनोखी परंपरा है, जो बहुत दर्दनाक और खतरनाक है। इसमें पति को अपनी गर्भवती पत्नी को गोद में उठाकर जलते हुए कोयले पर नंगे पैर चलना होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर पति अपनी पत्नी को सफलतापूर्वक उठाकर जलते हुए अंगारों के तय क्षेत्र को पार कर लेता है तो पत्नी को बच्चे के जन्म के दौरान कम दर्द महसूस होगा।
परंपरा निभाने वाले पतियों का क्या मानना है?
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं और उनके हार्मोन्स बदलते रहते हैं, जिनकी वजह से उन्हें मूड स्विंग्स समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही इस प्रक्रिया में उन्हें काफी दर्द भी होता है। ऐसे में इस परंपरा को निभाने वाले पतियों को मानना है कि जब महिलाएं इतना कुछ झेलकर मां बनती हैं तो उनके लिए पिता बनने का सफर भी आसान नहीं होना चाहिए।
क्या दर्शाती है यह परंपरा?
चीनी लोगों के मुताबिक, यह परंपरा दर्शाती है कि एक पिता के मन में अपने बच्चे और पत्नी के लिए कितना प्यार है। वह हर हालत में अपनी पत्नी और बच्चे के साथ खड़ा है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह परंपरा महिलाओं को सम्मानित करने का एक जरिया है। हालांकि, कुछ लोग इस परंपरा को पसंद नहीं करते क्योंकि अगर अंगारों पर चलते वक्त पति का संतुलन बिगड़ जाए तो इससे दुर्घटना भी हो सकती है।
इंडोनेशिया में महिलाओं की आधी उंगलियां काटने की है परंपरा
इंडोनेशिया में दानी जनजाति के लोगों द्वारा भी एक बेहद अजीबोगरीब परंपरा निभाई जाती है। इस परंपरा में परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर महिलाओं की आधी उंगलियों को काट दिया जाता है। इस परंपरा का नाम 'इकिपालिन' है। दानी जनजाति के लोगों का मानना है कि उंगली काटने की प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को जो दर्द महसूस होता है, उससे मृतक के दर्द को कम करने में मदद और पैतृक की आत्मा को शांति मिलती है।