जापानी सामाजिक कार्यकर्ता ने खोला 'बेकार होना ठीक है' बार, जो तनाव को कर रहा कम
क्या है खबर?
जीवन की कठिनाइयां हर किसी को तनाव का शिकार बना रही हैं। चाहे पढ़ाई की चिंता हो, काम-काज का तनाव हो या परिवार की फिक्र, आज के समय में हर व्यक्ति परेशान है। इसी बीच जापान की एक सामाजिक कार्यकर्ता ने लोगों के तनाव को कम करने का अनोखा तरीका ढूंढ निकाला है। दरअसल, उन्होंने एक खास बार खोला है, जिसका नाम 'बेकार होना ठीक है' रखा गया है। आइए इसके बारे में जानें।
मामला
अनजान लोग बांटते हैं अपनी परेशानियां
यह दिन में चलने वाला बार पश्चिमी जापान के फुकुओका शहर में स्थित है। यहां सामाजिक दबाव का सामना करने वाले लोग अपना मूड बेहतर करने जाते हैं। लोग यहां इखट्टा होते हैं और एक दूसरे के साथ अपनी परेशानियां बांटते हैं। सभी अनजान लोग मिलकर परेशानियों को सुनते हैं और एक दूसरे का सहारा बनने की कोशिश करते हैं। बारटेंडर भी हर ग्राहक से बात करती है, ताकि उनका तनाव घट सके।
अकीको
किसने खोला है यह बार?
यह बार फिश अकीको नाम की सामाजिक कार्यकर्ता ने खोला है, जो इसकी मालिक होने के साथ-साथ बारटेंडर भी हैं। बार का असली नाम हिरुसुना नाकासु है और यह एक तरह का स्नैक बार है। स्नैक बार एक खास तरह का जापानी बार होता है, जो काफी छोटा होता है। यहां अकीको को महिलाएं 'मामा' और पुरुष 'मास्टर' कह कर पुकारते हैं। वह हर एक ग्राहक के साथ खेलकर, बातें करके और गाने गा कर समय बिताती हैं।
उद्देश्य
खास वजह से खोला गया था यह बार
अकीको ने एक खास उद्देश्य के साथ यह बार शुरू किया था। वह इस धारणा को बदलना चाहती थीं कि 'कोई व्यक्ति तभी जी सकता है, जब वह दूसरों के लिए उपयोगी हो।' वह बचपन से ही इस बात पर विश्वास करती आई हैं, क्योंकि उन्होंने खुद काफी परेशानियां झेली हैं। उन्होंने परिवार की मदद करने के लिए कड़ी मेहनत की थी। हालांकि, अब वह सभी से कहती हैं, "आप ने बहुत मेहनत कर ली। अब सब ठीक हो जाएगा।"
जीवन
मां के सपने पूरे करने के लिए की कड़ी मेहनत
अकीको एक ऐसे परिवार में पली-बढ़ी, जहां उनके पिता रूढ़िवादी थे। ऐसे में उनकी मां ने परिवार के लिए अपने करियर और सपनों का त्याग कर दिया था। उनकी मां उनसे कहा करती थीं, "मेरी तरह मत बन जाना।" इस वजह से अकीको ने पढ़ाई पूरी करने के बाद मीडिया उद्योग में काम किया। वह अपने पति संग पहले अमेरिका, फिर चीन चली गईं। जापान लौटने के बाद उन्होंने समाज सेवा का रास्ता चुन लिया।
संकेत
यह बार दे रहा परेशान लोगों को उम्मीद
कोरोना के बाद अकीको ने यह बार खोला, जो हताश लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरा। यहां हर उम्र के और हर तरह के लोग आते हैं और कुछ पल के लिए अपनी जिम्मेदारियां भूल जाते हैं। अकीको चाहती हैं कि सभी ग्राहकों को विश्वास हो कि वे कुछ भी कर सकते हैं। वह कहती हैं, "बेकार होने से संतुष्ट होने का मतलब कुछ न करना नहीं है, बल्कि खुद को अपने लिए जीने की अनुमति देना है।"