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अंकों के बदले छात्रों को रक्तदान के लिए मजबूर करती थी कोच, आखिर क्या थी वजह? 
अंकों के बदले छात्रों को रक्तदान करने के लिए मजबूर करने वाली कोच

अंकों के बदले छात्रों को रक्तदान के लिए मजबूर करती थी कोच, आखिर क्या थी वजह? 

लेखन सयाली
Jul 18, 2025
07:35 pm

क्या है खबर?

शिक्षकों और प्रशिक्षकों को लोग भगवान का दर्जा देते हैं, क्योंकि वे हमें ज्ञान देकर हमारा मार्गदर्शन करते हैं। हालांकि, क्या हो अगर आपका शिक्षक ही आपको अपने फायदे के लिए परेशान करने लग जाए? सुनने में अजीब लगता है, लेकिन ताइवान में ऐसा ही कुछ हुआ है। दरअसल, यहां के एक विश्वविद्यालय की फुटबॉल कोच छात्रों को अंक देने के बदले रक्तदान करने पर मजबूर करती थी। आइए जानते हैं इस प्रशिक्षक का मकसद क्या था।

मामला

छात्रा की शिकायत के बाद उजागर हुआ मामला

इस हैरान करने वाले मामले का खुलासा तब हुआ जब नेशनल ताइवान नॉर्मल यूनिवर्सिटी (NTNU) की एक छात्रा ने प्रशिक्षक की शिकायत की। छात्रा का उपनाम जियान बताया जा रहा है, जो महिला फुटबॉल टीम का हिस्सा थीं। छात्रा ने बताया कि उनकी प्रशिक्षक पूरे द्वीप में मशहूर हैं, जिसका नाम झोउ ताई-यिंग है। 61 साल की यह महिला छात्रों को बार-बार रक्तदान करने के लिए मजबूर करती थी, जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक है।

अंक

खून दान न करने पर छात्रों को कर देती थी फेल

जियान ने कहा, "रक्तदान के सत्र स्नातक स्तर के लिए जरूरी 32 शैक्षणिक अंक से जुड़े थे।" अगर छात्र रक्तदान करने में असमर्थ होते थे या प्रशिक्षक की बात नहीं मानते थे तो उन्हें निष्कासन का सामना करना पड़ता था। मजबूरन बच्चे झोउ की बात मान लेते थे और बीमार होने, कमजोर पड़ने या दर्द झेलने के बाद भी बार-बार खून दान करते रहते थे। फेल होने के डर से वे अपने घर वालों को भी कुछ नहीं बताते थे।

रक्तदान

खुद हड़प लेती थी छात्रों को दिए जाने वाले पैसे

जियान ने बताया कि पढ़ते-पढ़ते उन्होंने अंक के बदले 200 से ज्यादा बार रक्तदान किया। कुछ सत्रों में लगातार 14 दिनों तक छात्रों का खून निकाला जाता था। वहीं, कभी-कभी उनसे सुबह 5 बजे से लेकर रात 9 बजे तक दिन में 3 बार रक्तदान करवाया जाता था। जियान के मुताबिक, अनुसंधान प्रयोगों की आड़ में अप्रशिक्षित कर्मचारी खून निकाला करते थे। प्रतिभागियों के लिए निर्धारित अनुसंधान सब्सिडी यानि पैसों को झोउ 'टीम फंड' के नाम पर हड़प लेती थी।

जियान

जियान ने सुनाई अपनी आप-बीती

जियान ने रोते-रोते एक वीडियो में कहा, "मैं इस सबसे बहुत परेशान हो चुकी थीं। लगातार 8 दिन रक्तदान करने के बाद उन्हें मेरे किसी भी हाथ में कोई नस तक नहीं मिल रही थी।" प्रशिक्षक ने जियान की कलाई से भी खून निकालने के प्रयास किया था, लेकिन वह नाकाम रही। छात्रा कहती हैं, "यह बहुत ही दर्दनाक था। मैं पूरी तरह टूट गई थी। 6 कोशिशों के बाद आखिरकार उन्हें कामयाबी मिली थी।"

प्रतिक्रिया

विश्वविद्यालय ने झोउ को कर दिया बर्खास्त

जियान की शिकायत के बाद कई अन्य छात्र भी आप-बीती सुनाने के लिए हिम्मत जुटा सके। एक छात्रा का कहना था कि वह झोउ के उत्पीड़न से बचने के लिए अवकाश लिया करती थीं। इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोग गुस्सा व्यक्त कर रहे हैं। 13 जुलाई को विश्वविद्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने झोउ को बर्खास्त कर दिया है और उसे किसी भी टीम का नेतृत्व करने से प्रतिबंधित कर दिया है।

झोउ

झोउ ने मांगी थी छात्रों से माफी

लोगों की प्रतिक्रिया को देखते हुए विश्वविद्यालय ने झोउ का एक हस्तलिखित माफीनामा भी पोस्ट किया था। उसमें लिखा था, "मैं संबंधित छात्रों, संकाय और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए ईमानदारी से माफी मांगती हूं। छात्रों को हुई भावनात्मक पीड़ा के लिए मुझे गहरा खेद है और मैं आप सभी से माफी मांगना चाहती हूं।" हालांकि, बाद में इस माफीनामे और आधिकारिक बयान को विश्वविद्यालय के सोशल मीडिया पेज से हटा दिया गया था।