चीन ने क्लोनिंग से तैयार की 3 सुपर गाय, दे सकती है एक लाख लीटर दूध
क्या है खबर?
चीन आए दिन अजब-गजब कारमानें करता रहता है। यहां के वैज्ञानिक पहले ही एक नकली सूरज और नकली चांद तैयार कर चुके हैं।
इसी कड़ी में अब चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने पिछले महीने निंग्जिया के लिंग्वू शहर में सुपर गाय की क्लोनिंग करके तीन बछड़ी को जन्म दिया है।
ये गाय अपने जीवनभर में एक लाख लीटर तक दूध दे सकती हैं। इससे चीन अगले कुछ सालों में दूध उत्पादन में सबसे आगे निकल सकता है।
मामला
क्या है मामला?
नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल एंड फॉरेस्ट्री साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने नीदरलैंड की होल्सटीन फ्रेजियन नस्ल की अत्यधिक उत्पादक गायों से तीन क्लोन तैयार कर लिए हैं।
ये गाय हर साल 18 टन दूध और अपने जीवनभर में 100 टन दूध का उत्पादन करने में सक्षम हैं। इससे देश में दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
मौजूदा वक्त में चीन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, फिर भी यह यूरोप पर अधिक निर्भर है।
प्रक्रिया
इस तहर तैयार की गई क्लोन गाय
गाय के क्लोन तैयार करने वाले और इस प्रोजेक्ट प्रमुख वैज्ञानिक जिन यापिंग ने बताया कि गायों के कानों से ऊतकों को इकट्ठा करके 120 क्लोन भ्रूण तैयार किए गए और फिर उन भ्रूणों को गायों में प्रत्यारोपित किया गया।
उन्होंने आगे कहा, "इन गायों में से 42 प्रतिशत गर्भवती हो चुकी हैं। इनमें से तीन सुपर गायों का जन्म हो चुका है और 17.5 प्रतिशत गायों का जन्म अगले कुछ दिनों में हो सकता है।"
कारण
घरेलू दूध के उत्पादन को बढ़ाना चाहता है चीन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में कम दूध देने वाली गायों के गर्भ में हाइब्रिड भ्रूण प्रत्यारोपित करके सुपर गाय की संख्या 1,000 तक बढ़ाने की योजना है।
इस प्रक्रिया को पूरा करने में चीन को दो से तीन साल और लगेंगे। इसके बाद देश में घरेलू दूध का उत्पादन बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा।
बता दें कि चीन में फिलहाल 66 लाख गायें हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत गाय अन्य देशों से आयात की गई हैं।
नकली चांद
न्यूजबाइट्स प्लस
इससे पहले चीन ने जियांगसू क्षेत्र के जुझोऊ शहर में एक नकली चांद बनाया था। इस नकली चांद की मदद से वैज्ञानिक पृथ्वी के उपग्रह का माहौल प्रयोगशाला में तैयार कर सकते हैं और सौर मंडल को समझ सकते हैं।
करीब दो फीट या 60 सेंटीमीटर व्यास वाले इस चांद पर लंबे वक्त तक कम गुरुत्वाकर्षण की स्थिति पैदा की जा सकती है।
इससे अंतरिक्ष में पैदा परिस्थितियों को समझना काफी आसान हो सकता है।