कनाडा: हाथों से पकड़े बिना व्यक्ति ने 130 किलोमीटर तक चलाई साइकिल, बनाया विश्व रिकॉर्ड
क्या है खबर?
कनाडा में अल्बर्टा के एक व्यक्ति ने अपने हाथों का इस्तेमाल किए बिना साइकिल चलाते हुए लगभग 130.29 किमी (80.95 मील) की यात्रा करके गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करा लिया है।
रॉबर्ट मरे नामक व्यक्ति ने कैलगरी की अल्जाइमर सोसायटी के लिए धन जुटाने के अभियान के तहत 5 घंटे और 37 मिनट तक अनोखे तरीके से साइकिल चलाते हुए विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
आइए इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मामला
रिकॉर्ड बनाकर मिली दोहरी जीत- रॉबर्ट
मीडिया से बात करते हुए रॉबर्ट ने कहा, "अल्जाइमर के कारण मैनें अपनी दादी को खो दिया है। इसलिए इस रिकॉर्ड को बनाने और इसके जरिए अल्जाइमर सोसायटी के लिए धन जुटाकर मुझे दोहरी जीत मिली है।"
रॉबर्ट ने छोटी-सी उम्र में ही साइकिल चलाना शुरू कर दिया था और 15 साल की उम्र में उन्होंने अपनी इकट्ठा की पॉकेटमनी से साइकिल खरीदी थी, जिसका इस्तेमाल उन्होंने रिकॉर्ड तोड़ने के लिए भी किया।
जानकारी
रिकॉर्ड बनाने से पहले रॉबर्ट के कुछ महीने रहें बहुत तनावपूर्ण
गिनीज बुक के अनुसार, रॉबर्ट का कहना है कि साइकिल चलाना एक आरामदायक स्थिति है क्योंकि इसके दौरान वह मैसज टेक्स्ट कर सकते हैं या फिरअपने बैकपैक से कुछ भी निकाल सकते हैं।
रॉबर्ट का कहना है कि रिकॉर्ड प्रयास से पहले कुछ महीने बहुत तनावपूर्ण थे क्योंकि प्रयास के लिए उन्हें एक जगह ढूंढनी थी और अपनी साइकिल की मरम्मत भी करानी थी। प्रयास से लगभग एक हफ्ते पहले उनकी साइकिल का गियर टूट गया।
समस्याएं
साइकिल की मरम्मत में लगे कुछ दिन
रॉबर्ट ने यह भी बताया कि उनकी साइकिल का गियर ठीक करवाने के लिए कोई दुकान नहीं मिल रही थी, लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें एक दुकान मिल गई, जहां उन्होंने अपनी साइकिल ठीक करवाई।
इसके बाद रॉबर्ट ने पार्किंग स्थल में लैप्स का अभ्यास करके रिकॉर्ड प्रयास के लिए प्रशिक्षण लिया और लंबे समय तक सीधे बैठने की कोशिश भी की।
प्रशिक्षण के बावजूद प्रयास के दौरान उन्हें कुछ दिक्कत होने लगी, जिससे साइकिल चलाते समय समस्याएं आई।
बयान
साइकिल चलाने का पहला घंटा जल्दी बीता- रॉबर्ट
रॉबर्ट का कहना है कि साइकिल चलाने का पहला घंटा जल्दी बीत गया क्योंकि वह उत्साहित थे और इस दौरान उन्होंने संगीत सुना, जिससे उन्हें प्रयास में मदद मिली।
इसके बाद धीरे-धीरे उनकी गति कम होने लगी, लेकिन आखिरी के घंटे में उन्होंने अपनी गति बढ़ा ली और बहुत तेज चलना शुरू कर दिया क्योंकि वह बहुत थक गए थे।
रॉबर्ट ने यह भी कहा कि चाहे कितनी भी दिक्कत आई हो, उनकी मेहनत रंग लाई।