जर्मनी में कब्र से मिली 3,000 साल पुरानी तलवार, आज भी बरकरार है चमक
जर्मनी के पुरातत्वविदों ने कांस्य युग की एक प्राचीन तलवार की खोज की है, जो बहुत अच्छी तरह से संरक्षित है और आज भी चमकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 3,000 साल पुराना यह हथियार बेहद दुर्लभ है। इसे बवेरिया के नोर्डलिंगन शहर में एक पुरुष, महिला और बच्चे की कब्र के अंदर से बरामद किया गया है। आइये इस दुर्लभ तलवार की खासियत के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस तरह का अवशेष इतनी अच्छी स्थिति में और इस स्थान पर मिलना बेहद दुर्लभ है क्योंकि सदियों पहले मध्य कांस्य युग की कब्रों को लूट लिया गया था। स्मारक संरक्षण के लिए बवेरियन राज्य कार्यालय द्वारा गत बुधवार को जारी एक बयान ने कहा गया कि तलवार 3 मृत लोगों के कब्र के अंदर से पाई गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये तीनों एक-दूसरे से संबंधित थे या नहीं।
क्या है दुर्लभ तलवार की खासियत?
3,000 साल पुरानी यह दुर्लभ तलवार इतनी अच्छी तरह से संरक्षित है कि यह अभी भी चमकती है। इसमें कांस्य से बना एक अलंकृत अष्टकोणीय झुकाव है, जो अब हरे रंग का हो गया है। इसमें ब्लेड से जुड़ने वाले हैंडल में 2 रिवेट्स हैं, जो ओवरले कास्टिंग नामक तकनीक द्वारा बनाए गए हैं। बता दें कि इस तरह की अष्टकोणीय तलवारें केवल कुशल लोहार ही बना सकते थे।
दुर्लभ तलवार की जांच कर रहे वैज्ञानिक
वैज्ञानिक अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह तलवार स्थानीय रूप से तैयार की गई थी या बाहर से आयात की गई थी क्योंकि अन्य कांस्य युग अष्टकोणीय तलवारें दक्षिणी जर्मनी, उत्तरी जर्मनी और डेनमार्क में पाई गई हैं। बवेरियन राज्य कार्यालय के प्रमुख मथियास फिल ने कहा, "इस दुर्लभ तलवार और कब्र की अभी भी जांच की जानी है, ताकि हमारे पुरातत्वविद इस खोज को और अधिक स्टीक रूप से वर्गीकृत कर सकें।"
140 करोड़ रुपये में नीलाम हुई थी टीपू सुल्तान की तलवार
पुराने समय की तलवारें बहुत ही खास होती हैं और इनसे कई ऐतिहासिक तथ्य जुड़े होते हैं, इसलिए इनकी खोज या नीलामी भी खास होती है। हाल ही में मैसूर रियासत के शासक रहे टीपू सुल्तान की तलवार लंदन में बोनहम्स की नीलामी में लगभग 140 करोड़ रुपये की बिकी थी। बेशकीमती होने के साथ-साथ इस तलवार ने भारतीय इतिहास में अहम भूमिका भी निभाई थी। अंग्रेजों ने टीपू की इस तलवार को चुरा लिया था।