
कचरे के ढेर में मिली 17वीं शताब्दी की पेंटिंग, 60 करोड़ रुपये में हुई नीलाम
क्या है खबर?
सभी के घरों में एक ऐसा कमरा होता है, जिसमें पुराना और कम इस्तेमाल होने वाला सामान रखा जाता है।
ये सामान समय के साथ धूल खा-खा कर खरब हो जाता है और कबाड़ समझकर बेच दिया जाता है।
हालांकि, कई बार घर के कबाड़ में इतनी नायब चीजें मिल जाती हैं, जिनकी हमने कल्पना भी नहीं की होती।
ऐसा ही कुछ अमेरिका के राज्य कनेक्टिकट में हुआ, जहां एक धूल भरी अटारी में एक नायाब पेंटिंग पड़ी मिल गई।
पेंटिंग
1666 में हुई थी इस पेंटिंग की रचना
इस पेंटिंग को फ्रैंस पोस्ट ने कैनवास पर उकेरा था, जो यूरोप के पहले प्रशिक्षित कलाकारों में से एक थे।
वह डच ब्राजील काल के दौरान अमेरिका के दृश्यों को चित्रित करने वाले महान कलाकार हुआ करते थे।
उन्होंने 1666 में यह पेंटिंग बनाई थी, जिसका शीर्षक 'ब्राजील के ओलिंडा का दृश्य, जेसुइट चर्च के खंडहरों के साथ' है।
यह नायाब पेंटिंग इतनी बुरी हालत में पाई गई थी कि इसे पहचानना बिलकुल असंभव हो गया था।
खोज
18 करोड़ में खरीदी गई धूल-मिट्टी से ढकी पेंटिंग
जब पेंटिंग को खोजा गया था, तब वह धूल-मिट्टी से ढकी थी और काली पड़ चुकी थी। हालांकि, सोथबी के अध्यक्ष जॉर्ज वाचर को यकीन था कि गंदगी के पीछे एक बेहतरीन कलाकृति छिपी हुई है।
उन्होंने 1998 में कलेक्टर जॉर्डन और थॉमस सॉन्डर्स से इसे 18 करोड़ रुपये में खरीदा। इसके बाद वह इसे न्यूयॉर्क की एक प्रमुख कला संरक्षक नैन्सी क्रेग के पास ले गए।
उन्होंने रसायनों और कपास की झाड़ू की मदद से पेंटिंग को साफ किया।
नीलामी
सोथबी ने करवाई इस पेंटिंग की नीलामी
सफाई करने के बाद पेंटिंग का असल दृश्य नजर आने लगा। इस पेंटिंग में एक नीला आकाश, एक गिरजाघर का खंडहर, टोकरियां ले जाते हुए गुलाम और जानवरों का एक समूह बना हुआ था।
इस पेंटिंग की नीलामी का आयोजन सोथबी नामक नीलामीघर ने करवाया था। वैसे तो यह 1998 में मिली थी, लेकिन इसे इस साल नीलाम किया गया है।
यह पेंटिंग महज 2 मिनट में बिक गई थी और इसकी कीमत 60 करोड़ रुपये से ज्यादा लगी थी।
पोस्ट
ब्राजील में 8 साल रहकर बनाई थीं पेंटिंग
बताया जा रहा है कि यह पोस्ट द्वारा बनाई गई सबसे मशहूर पेंटिंग बन चुकी है और यह सबसे महंगे दाम पर बिकी है।
उन्होंने ब्राजील में रहकर करीब 8 साल तक काम किया था और उस वक्त उनके द्वारा बनाई गई केवल 7 पेंटिंग ही बची हैं।
हालांकि, वे सभी कलाकृतियां उनकी प्रतिभा का बखान करने के लिए काफी हैं और उनकी महानता का सबूत भी पेश करती हैं।